सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता- गीत गाने दो मुझे तो

गीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को। चोट खाकर राह चलते होश के भी होश छूटे, हाथ जो पाथेय थे, ठग— ठाकुरों ने रात लूटे, कंठ रुकता जा रहा है, आ रहा है काल देखो। भर गया है जहर से संसार जैसे हार खाकर, देखते हैं लोग लोगों को सही परिचय न पाकर, बुझ गई है लौ पृथा की, जल उठी फिर सींचने को। हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 14, 2025, 17:36 IST
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