Supreme Court: धर्मशाला में हिमाचल HC की खंडपीठ की मांग वाली याचिका पर SC ने विचार करने से किया इनकार

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की एक सर्किट पीठ स्थापित करने की मांग करने वाली अधिवक्ताओं की संस्था की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।इस मामले में याचिकाकर्ता कांगड़ा जिला बार एसोसिएशन है और मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीशचंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की थी।हालांकि शीर्ष अदालत ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दी। इससे अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए शिमला आने-जाने का झंझट खत्म हो जाएगा। वकीलों ने दी दलील सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा कि वे उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय को धर्मशाला में एक सर्किट पीठ गठित करने का निर्देश नहीं दे सकता है। इसपर वकील नेदलील देते हुए कहा किसभी सर्किट बेंचों की संख्या बहुत अधिक है और वे उन्हें स्थायी बनाने की मांग कर रहे हैं। वकील ने यह भी कहा कि ये सर्किट बेंच एक-दूसरे से काफीदूर हैं और इन जगहों तक पहुंचने के लिए रात भर का सफर तय करना पड़ता है। तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति को फिर से क्यों जेल में भेजना चाहते हैं: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीबीआई और गुजरात सरकार से सवाल किया कि वे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को सात साल से अधिक समय तक अग्रिम जमानत पर रहने के बाद वापस जेल में क्यों भेजना चाहते हैं। जस्टिस संजय किशन कौल, अभय एस ओका और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि आप किसी को कब तक हिरासत में रख सकते हैं। अग्रिम जमानत दिए हुए सात साल बीत चुके हैं। आप उसे वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं। सीबीआई और गुजरात सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि मामलों के संबंध में अदालत के समक्ष कुछ अतिरिक्त सामग्री रखने की जरूरत है और इसलिए चार सप्ताह का समय दिया जा सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 25, 2023, 17:26 IST
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