कर्मचारियों की वेतनवृद्धि रोकना रेलवे की संवेदनहीनता: हाईकोर्ट
-पदक जीतने पर मिलने वाली वेतनवृद्धि रोकने का मामला-अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज ने हाईकोट्र में दाखिल की याचिका-रेलवे पर 20 हजार का जुर्माना, वेतनवृद्धि देने के निर्देशअमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने रेलवे की उस संवेदनहीन नीति की कड़ी आलोचना की है, जिसमें खेल उपलब्धियों से देश का नाम रोशन करने वाले अपने ही कर्मचारियों को लाभ देने में आनाकानी की जाती है। कोर्ट ने कहा कि यह न केवल कर्मचारियों का मनोबल तोड़ता है, बल्कि सरकारी खेल प्रोत्साहन योजनाओं के उद्देश्य को भी विफल करता है। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति माधु जैन की खंडपीठ ने उत्तरी रेलवे के मुक्केबाज कर्मचारी अजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने रेलवे पर लगाया 20 हजार का जुर्मानाअजय कुमार को 2007 में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के लिए मिलने वाली दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियों से वंचित रखा गया था, जिसके लिए उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट ने रेलवे की अपील खारिज कर दी, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के फैसले को चुनौती दी गई थी। कैट ने रेलवे को वृद्धियां ब्याज सहित देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने रेलवे पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह है मामलाअजय कुमार को 2005 में खेल कोटे से अंबाला डिवीजन में भर्ती किया गया था। नियुक्ति पर उन्हें 17 अग्रिम वृद्धियां मिलीं। 2007 में उन्होंने हैदराबाद में 53वीं सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत और मंगोलिया में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2007 की रेलवे नीति के तहत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों पर अतिरिक्त वृद्धियां मिलती थीं। लेकिन 2010 में नीति संशोधित कर करियर में अधिकतम पांच वृद्धियां सीमित कर दी गईं। 2014 में अजय ने 2007 की उपलब्धियों के लिए दो वृद्धियां मांगीं, जिसे 2010 की नीति का हवाला देकर खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2007 में पदक जीतते ही अजय का अधिकार 'स्थिर' (क्रिस्टलाइज्ड) हो गया था।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 31, 2025, 19:40 IST
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