श्रीनगर: कड़ाके की ठंड में भी हौसले बुलंद, डल की जमी परत को तोड़कर अभ्यास कर रहीं युवतियां

कश्मीर में तापमान लगातार माइनस में चल रहा है। कड़ाके की ठंड में भी डल झील में अभ्यास कर रही खिलाड़ियों के हौंसले और बुलंद हैं। खिलाड़ी प्रदेश के लिए पदक लाने के लिए कयाकिंग और कैनोइंग का प्रशिक्षण ले रही हैं। पिछले कुछ दिनों में अत्यधिक माइनस तापमान के चलते झील की सतह पर परत जम रही है। प्रशिक्षण शुरू करने से पहले लड़कियों को जमी हुई पानी की परत को तोड़ना पड़ता है। हालांकि वे वर्तमान में भोपाल में होने वाली आगामी राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए राष्ट्रीय कोच बिलकिस मीर के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें से कुछ की नजरें ओलंपिक पर भी हैं। बिलकीस ने कहा, जम्मू और कश्मीर सहित हमारे देश में महिलाओं के लिए खेल में बहुत बड़ी गुंजाइश है। अगर हम ओलंपिक या एशियाई खेलों के नतीजे देखें तो अधिकांश पदक लड़कियों ने जीते हैं। उन्होंने कहा, लड़कियों ने हमारे देश को गौरवान्वित किया है और यह संख्या बढ़ेगी क्योंकि हम महिलाओं के खेल में बहुत अच्छा कर रहे हैं। मीर के मुताबिक, लड़कियां बर्फ को प्राकृतिक रूप से पिघलाने का इंतजार नहीं कर सकती हैं। अगर वे तापमान के एक आरामदायक स्तर तक बढ़ने का इंतजार करती हैं तो अगले महीने होने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। मीर, जिनका खुद कयाकिंग और कैनोइंग में एक विशिष्ट कैरियर रहा है, ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जम्मू और कश्मीर की लड़कियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। यहां तक कि ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसे बहुपक्षीय आयोजनों में भी। उन्होंने कहा, हम प्राकृतिक जल संसाधनों से धन्य हैं। यहां के वाटर स्पोर्ट्स सेंटर को देश के सर्वश्रेष्ठ के रूप में जाना जाता है। खिलाड़ी सर्दियों में भी अभ्यास कर रहे हैं क्योंकि हम भोपाल में राष्ट्रीय चैंपियनशिप की योजना बना रहे हैं। मेरा सपना कयाक ओलंपिक खिलाड़ी बनना है, ठंड मुझे रोक नहीं सकती : नबीला इस क्षेत्र की उभरती प्रतिभाओं में से एक 12 वर्षीय नबीला खान है, सोचती हैं कि उनमें कयाकिंग और कैनोइंग में जाने की क्षमता है। खान जो पहले से ही शिमला में राष्ट्रीय खेलों में भाग ले चुकी हैं, ने कहा-मेरा सपना कयाक ओलंपिक खिलाड़ी बनना है और मैं इसके लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रही हूं। यहां ठंड है, लेकिन यह कोई बाधा नहीं है क्योंकि अगर मुझे यह करना है, तो मुझे कोई भी नहीं रोक सकता, भले ही यह बहुत ठंडा हो। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में इस खेल में बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा नहीं है क्योंकि हर जगह प्राकृतिक जल का उपहार नहीं है जिसका उपयोग हम कयाकिंग के लिए कर सकते हैं। इसलिए कश्मीर का कयाकिंग और कैनोइंग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता आसिफा शफी सुल्तानी का मानना है कि समय बदल गया है और इसके साथ समाज की धारणा है कि एक महिला क्या कर सकती है। उन्होंने कहा, आज लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं है। मुझे अपने कोच की तरह खुद को साबित करना है। मुझे परवाह नहीं है कि समाज क्या कहता है, मेरा उद्देश्य अपने सपने को साकार करना है और मुझे किसी चीज का डर नहीं है। मैं अपने माता-पिता, कोच, राज्य और देश को गौरवान्वित करना चाहती हूं। मैं कुछ ऐसा करूं जो लड़कों के लिए भी असंभव हो : आसिफा आसिफा ने कहा, बाहर की धारणा के विपरीत, कश्मीर में लड़कियों की आम तौर पर अपनी मनमानी होती है। मेरे माता-पिता ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। यह उनके समर्थन के कारण है कि मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं जिसे एक लड़का भी करना असंभव महसूस करे। मीर ने कहा कि महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने देश में साहसिक खेलों में उनकी भागीदारी के बारे में धारणा बदलने को मजबूर किया है। उन्होंने कहा, पिछले तीन से चार वर्षों में इस खेल में एक क्रांति आ गई है। इसमें 50 फीसदी से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी है। हमने अब तक 110 पदक जीते हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत महिला एथलीटों ने जीते हैं। यहां की लड़कियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। मीर ने कहा कि खेलों में महिलाओं को आरक्षण की नहीं बल्कि समान क्षमता के लिए समान दर्जे की जरूरत है। उन्होंने कहा, लड़कियों की भागीदारी बढ़ रही है। जब मैं वाटर स्पोर्ट्स में आई तो मेरा कोई रोल मॉडल नहीं था। अब अधिक भागीदारी है और मुझे लगता है कि एक नहीं बल्कि हजारों बिलकिस यहां उभरेंगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 29, 2022, 17:48 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




श्रीनगर: कड़ाके की ठंड में भी हौसले बुलंद, डल की जमी परत को तोड़कर अभ्यास कर रहीं युवतियां #CityStates #Jammu #Srinagar #JammuAndKashmir #SubahSamachar