Panipat News: किसी शौचालय का दरवाजा तो किसी का टूटा है नल
पानीपत। जिले के सरकारी स्कूलों में सफाई व्यवस्था बदहाल है। सफाई कर्मचारी न होने के कारण अधिकतर सरकारी स्कूलों के शौचालयों में सफाई पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा। सफाई नहीं होने के कारण विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के शौचालय गंदगी से अटे हैं। किसी स्कूल के शौचालय पर दरवाजे नहीं हैं, तो किसी का नल टूटा हुआ। सफाई न होने से पानी बहता रहता है। फ्लश बॉक्स टूटे हुए हैं और पानी टपकता है। उल्लेखनीय है कि कई शौचालयों में दरवाजे तक नहीं है जिससे सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को होती है। इसके अलावा खेल सुविधाओं की भी कमी है। कईं स्कूलों में जगह नहीं तो कहीं पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। वर्ष 2024-25 का बजट भी विभाग की ओर से मार्च माह में दिया गया था। ऐसे में साल के अंतिम दिनों स्कूलों की ओर से कुछ खेल उपकरण खरीदे गए। खरीदे गए खेल उपकरण अलमारी व कमरों में बंद होकर रह गए हैं। बजट से खेल मैदान दुरुस्त नहीं हो पाए।गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की ओर से जिले के सभी स्कूलों को प्रांगण सफाई, शौचालय की सफाई सहित अन्य रख-रखाव व कार्यों के लिए ग्रांट मिलती है। सीडब्ल्यूएफ खर्च के लिए विभाग की ओर से नियमावली भी दी गई है। इसके लिए स्कूलों को केवल ग्रांट से ज्यादा खर्च के लिए जिला मुख्यालय से अनुमति लेनी होती है जबकि स्कूल अपनी ग्रांट से यह सभी काम करवा सकते हैं। विभाग की ओर से हर स्कूल को एक से 15 विद्यार्थियों तक दस हजार रुपये की ग्रांट मिलती है। 16 से 100 तक 25 हजार, 101 से 250 तक 75 हजार तक की ग्रांट दी जाती है। इसी तरह विद्यार्थियों की संख्या के लिए अनुसार ग्रांट भी बढ़ती जाती है। इस ग्रांट से स्कूल शौचालय की सफाई, दरवाजे, टंकी, टोंटियों की मरम्मत सहित अन्य आवश्यक काम करवा सकते हैं। परंतु प्राचार्य व स्टाफ सदस्यों की लापरवाही के कारण इस पर काम नहीं हो पाता है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।जानकारी के अनुसार जिले के प्राथमिक पाठशालाओं से वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों तक सभी संस्थानों में शौचालय बने हुए हैं। इनकी सफाई और रख-रखाव की व्यवस्था ठप है। जिस कारण इसका लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा है। अभिभावक नरेंद्र, जयभगवान, रोहताश, संसार ने कहा कि सरकार को स्कूलों में विद्यार्थियों की सुरक्षा व सुविधा को लेकर काम करना चाहिए। वहीं, इसमें लापरवाही बरतने वाले शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारियों पर कार्रवाई भी अमल में लानी चाहिए।बॉक्सखेल मैदानों में उगी हैं लंबी घास और झाडियां अधिकतर सरकारी स्कूलों के खेल मैदान खस्ता हालत में हैं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक पाठशाला से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों को पांच से 25 हजार रुपये तक का अनुदान दिया गया है। इस अनुदान से स्कूलों ने अपने स्तर पर इनडोर व आउट डोर खेलों के लिए उपकरण व किट खरीदे हैं जो कमरों, अलमारियों में बंद हैं। जिले में कई स्कूलों के मैदान ठीक नहीं हैं। कहीं रेतीली मिट्टी जमा है तो कही लंबी-लंबी घास उगी हैं। कहीं झाड़ियां और गड्ढे हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को संसाधनों के अभाव में परेशान होना पड़ रहा है। सभी स्कूलों में उपकरण भी पर्याप्त नहीं हैं। वर्जन- जिले के सभी सरकारी स्कूलों में पानी व शौचालय व्यवस्था सुचारू रखने के लिए स्कूलों को ग्रांट दी जाती है। स्कूल अपने स्तर पर यह काम करवा सकते हैं। स्कूलों को खेल उपकरण खरीदने के लिए श्रेणी के अनुसार ग्रांट दी गई है। सरकारी स्कूलों में व्यवस्था ठीक है।- कुलभूषण जैन, सहायक जिला परियोजना समन्वयक।वर्जन- सभी स्कूलों में शौचालय की उचित व्यवस्था है और इनके रख-रखाव के लिए ग्रांट भी दी जाती है। जिन स्कूलों में सफाई कर्मचारी नहीं हैं, वहां पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। अभी तक स्कूल बंद थे, तो नियमित सफाई नहीं हो पा रही थी। अब वे स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और लापरवाही पर कार्रवाई होगी।- राकेश बूरा, जिला शिक्षा अधिकारी, पानीपत।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 21, 2025, 02:41 IST
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