शराब के नशे में दुर्घटना का शिकार सैनिक नहीं है दिव्यांगता पेंशन का हकदार : हाईकोर्ट

-वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर जेसीओ को रेलवे स्टेशन छोड़ने गया था याचीअमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि शराब के नशे में सड़क दुर्घटना में घायल हुआ सैन्यकर्मी दिव्यांगता पेंशन का हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को शराब के नशे में वाहन नहीं चलाना चाहिए था। जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के 2023 के फैसले को बरकरार रखा जिसमें पाया गया था कि चोटें सैन्य सेवा से संबंधित नहीं थीं। अदालत के आदेश ने हवलदार कुलवंत सिंह द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया जिन्होंने एएफटी के फैसले को चुनौती दी थी।कुलवंत सिंह को जनवरी 1999 में टिबिया और फिबुला की हड्डी में कंपाउंड फ्रैक्चर हुआ था जिससे उन्हें 30% दिव्यांगता हो गई थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह चोट उस समय लगी थी जब वह अपने वरिष्ठ के आदेश का पालन करते हुए एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) को रेलवे स्टेशन पर छोड़ने गए थे। याची ने कहा कि वह आदेश का पालन कर रहा था और इसलिए इसे सेवा से संबंधित माना जाना चाहिए। सिंह ने कहा कि शराब पीने के बावजूद उनके पास अपने वरिष्ठ के आदेशों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया दिव्यांगता अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशों का पालन करते समय हुई है। इसलिए इसे याचिकाकर्ता द्वारा कर्तव्य निभाते समय लगी चोट माना जाना चाहिए। सेना के अधिकारियों ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि सिंह बिना गेट पास के अपनी यूनिट से निकले थे। शराब के नशे में थे और स्कूटर खुद चला रहे थे। सभी पक्षों को सुनने के बाद, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि एएफटी का यह निष्कर्ष कि चोट सैन्य सेवा के कारण नहीं थी। नतीजतन, अदालत को हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं मिला और याचिका खारिज कर दी गई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 20, 2025, 18:48 IST
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