मैं सच बोल रहा हूं: सर, वो मेरी मां के अंतिम संस्कार के पैसे हैं...लौटा दीजिए, स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाया बेटा

सर, वो मेरी मां के अंतिम संस्कार के रुपये हैंमुझे लौटा दीजिये मैं सच बोल रहा हूं। यह कहते-कहते 21 साल के आकाश के आंसू भले ही थम न रहे हों लेकिन उसके लफ्जों पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था। एक गाड़ी में पड़ी मां की लाश की ओर इशारा कर वह कांशीराम अस्पताल के स्टाफ से यही कहता रहा कि काउंटर पर जो रुपये छूटे हैं वह मेरे हैं, मां का अंतिम संस्कार करना है। डेढ़ घंटे तक जब अस्पताल प्रबंधन को उसकी हकीकत पर यकीन नहीं हुआ तो उसे पुलिस के पास भेज दिया। पुलिस के सामने भी वह रोते-रोते यही कहता रहा। पौने दो घंटे बाद पार्षद पति के हस्तक्षेप के बाद उसे रुपये वापस मिले तो वह अपनी मां का अंतिम संस्कार कर सका। एक बेटे की मां के अंतिम संस्कार के लिए की गई जद्दोजहद को जिसने भी देखा वह व्यवस्था को कोसता रहा और बेटे पर तरस खाता रहा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 11, 2023, 11:37 IST
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