Mandi News: 12 लाख रुपये का पैकेज छोड़ नेवी में लेफ्टिनेंट बनीं सिमरन
कोटली (मंडी)। सपनों की उड़ान जब ऊंची हो तो लाखों के पैकेज भी मायने नहीं रखते। मंडी जिला के कोटली (गांव कून) की बेटी सिमरन ने इसे साबित कर दिखाया है। भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट बनकर जब सिमरन पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचीं तो पूरा इलाका देशभक्ति के रंग में रंग गया। स्थानीय लोगों, व्यापारियों और पूर्व सैनिक लीग ने उनका भव्य स्वागत किया।सिमरन के लिए यह सफर आसान नहीं था। एनआईटी हमीरपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद वह गुरुग्राम की एक नामी कंपनी में 12 लाख रुपये सालाना पैकेज पर नौकरी कर रही थीं। लेकिन बचपन से दिल में पल रहा फौज की वर्दी पहनने का सपना उन्हें सोने नहीं देता था। उन्होंने नौकरी के साथ-साथ तैयारी जारी रखी और आखिरकार कॉर्पोरेट की सुख-सुविधाएं छोड़कर देश सेवा को चुना।बेटी को अफसर की वर्दी में देखकर मां मीना देवी की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। जैसे ही सिमरन घर पहुंचीं मां ने आरती उतारकर और मुंह मीठा करवाकर उनका स्वागत किया। सिमरन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोट के निजी स्कूल और योल कैंट के केंद्रीय विद्यालय से की। 2024 में एसएसबी परीक्षा पास करने के बाद जनवरी 2025 से केरल स्थित भारतीय नौसेना अकादमी में उनका कठिन प्रशिक्षण शुरू हुआ। 30 नवंबर को पासिंग आउट परेड के बाद अब वह आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गई हैं। सिमरन ने कहा कि वह यहीं नहीं रुकेंगी, बल्कि नेवी में उच्च पद हासिल करने के लिए प्रयासरत रहेंगी।तीसरी पीढ़ी संभालेगी देश की सुरक्षा का जिम्मासिमरन का परिवार पीढ़ियों से देश सेवा में जुटा है। उनके दादा लाला राम सेना से हवलदार और पिता धर्मपाल सेना से सूबेदार (ऑनरेरी कैप्टन) पद से सेवानिवृत्त हैं। दादा लाला राम ने कहा कि यह बेहद गर्व का विषय है कि मेरे परिवार की तीसरी पीढ़ी भी अब भारतीय सेना में सेवा देगी। वहीं, पिता धर्मपाल ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर नाज है। उसने इस मुकाम को पाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। वह महज चार-पांच घंटे सोती थी और बाकी समय पढ़ाई में लगाती थी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 05, 2025, 17:37 IST
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