Politics: 'बिहार चुनाव में फंडिंग के लिए कांग्रेस को पांच पैसे नहीं दिए', BJP के आरोपों पर बोले CM सिद्धारमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को भाजपा के उस आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राज्य की कांग्रेस सरकार बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को आर्थिक मदद दे रही है। उन्होंने कहा कि हमने किसी भी राज्य के चुनाव के लिए पांच पैसे भी नहीं दिए, बिहार के लिए भी नहीं। सिद्धारमैया ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि असल में भाजपा खुद ऐसा करती रही है, अब वही आरोप दूसरों पर लगा रही है। मुख्यमंत्री का यह बयान भाजपा सांसद बीवाई रघवेंद्र और जगदीश शेट्टर के आरोपों के जवाब में आया। इन दोनों नेताओं ने दावा किया था कि सिद्धारमैया सरकार बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के फंडरेजिंग में शामिल है, जिससे राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ा है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा कि यह आरोप पूरी तरह निराधार हैं और भाजपा का यह पुराना तरीका है कि वह पहले खुद गलती करती है और फिर दूसरों पर उंगली उठाती है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक ध्यान भटकाने की कोशिश है। आरएसएस के मार्च पर भी बोले सिद्धारमैया ने अपनी सरकार के उस आदेश का भी बचाव किया जिसमें निजी संगठनों को किसी भी सरकारी संपत्ति या परिसर का उपयोग करने से पहले अनुमति लेने की अनिवार्यता की गई है। विपक्ष का कहना है कि यह आदेश खास तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों को सीमित करने के लिए लाया गया है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला नया नहीं है, बल्कि 2013 में भाजपा सरकार के समय लिया गया निर्णय ही हमने जारी रखा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आदेश में किसी संगठन का नाम नहीं लिया गया है और यह सभी निजी संगठनों पर समान रूप से लागू होगा। ये भी पढ़ें-'गैर-भाजपा राज्यों के साथ हो रहा भेदभाव', बाढ़ राहत पर प्रियांक खरगे ने केंद्र सरकार पर लगाया आरोप आरएसएस से जुड़ा विवाद और सरकारी रुख मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आदेश में कहीं भी आरएसएस का नाम नहीं लिखा है। यह सभी संगठनों के लिए समान है। सरकार के आदेश के अनुसार, किसी भी निजी संस्था, संघ या समूह को सरकारी संपत्ति या परिसर में कार्यक्रम करने से पहले प्रशासनिक अनुमति लेनी होगी। वहीं, चित्तापुर में आरएसएस की प्रस्तावित रूट मार्च को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, यह कहते हुए कि उसी दिन भीम आर्मी ने भी उसी मार्ग पर मार्च की सूचना दी है, जिससे शांति भंग होने की आशंका थी। कोर्ट का हस्तक्षेप और प्रशासनिक स्थिति आरएसएस ने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने रविवार को सुनवाई करते हुए आरएसएस को दो नवंबर को चित्तापुर में रूट मार्च के लिए नई अनुमति आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया। इस बीच सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार की ओर से जारी आदेश का मतलब यह नहीं है कि अनुमति हर हाल में दी जाएगी। यह स्थानीय कानून-व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा। उन्होंने आगे दोहराया कि भाजपा की तरह उनकी सरकार किसी भी राजनीतिक या धार्मिक संगठन के प्रति पक्षपात नहीं करेगी। ये भी पढ़ें-तेलंगाना में कांस्टेबल की हत्या के आरोपी को पुलिस ने मार गिराया, फरार होने की कोशिश में चली गोली मुख्यमंत्री ने साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने पर भी दिया जोर सिद्धारमैया ने सोमवार को यह घोषणा भी की कि राज्य सरकार झूठी और भ्रामक सूचनाओं पर रोक लगाने के लिए एक नया कानून लाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि जो लोग अफवाहें फैलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सिद्धारमैया ने मंगलुरू के पास पुत्तूर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि कानून मंत्री एच. के. पाटिल और आईटी/बीटी मंत्री प्रियंक खरगे इस कानून का मसौदा तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य या जिले की प्रगति तभी संभव है जब वहां शांति और सौहार्द बना रहे। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे साम्प्रदायिक एकता को बनाए रखें और समाज में भय का माहौल न बनने दें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 20, 2025, 21:23 IST
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