शरद यादव अलविदा: जबलपुर के मालवीय चौक से संसद तक रहे नायक, कर्मभूमि से कभी कम नहीं हुआ लगाव

देश के जुझारू नेता और जनता दल युनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का निधन जबलपुर के लिए बड़ी क्षति है। छात्र नेता के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई थी। वे पहली बार जबलपुर से ही सांसद निर्वाचित हुए थे। जबलपुर के मालवीय चौक से छात्र राजनीति का आगाज करने वाले यादव ने देश की संसद तक परचम फहराया। वे हमेशा पक्ष तथा विपक्ष दोनों के चहेत रहे। देश की सियासत में उनकी गिनती तेजतर्रार जननेताओं में थी। छात्र आंदोलन में जबलपुर में उनके सहयोगी रहे तिलक यादव ने बताया कि शरद यादव मूल रूप से होशंगाबाद के आंखमउ गांव के निवासी थे। उन्होंने जबलपुर स्थित साइंस कॉलेज से बीएससी तथा इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्टॉनिक इंजीनियर की डिग्री हासिल की थी। इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने छात्र राजनीति प्रारंभ की। जबलपुर के के सभी कॉलेजों के छात्रों को उन्होंने एकजुट किया था। तिलक यादव ने बताया कि शरद यादव छात्रों के सर्वमान्य नेता बन गए थे और शहर का मालवीय चौक उनका ठिकाना होता था। प्रख्यात समाजवादी नेता रहे डॉ. राम मनोहर लोहिया को शरद यादव अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। जेपी आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। सेठ गोविंद दास की मौत के बाद वर्ष 1974 में हुए जबलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए उन्होंने जेल में रहते हुए नामांकन दाखिल किया था। मतदान के पूर्व उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था और चुनाव चिन्ह हलधर किसान था। उन्हें संपूर्ण विपक्ष ने समर्थन दिया था। 'लल्लू को न जगधर को मोहर लगेगी हलधर को' इस चुनाव में उन्होंने सेठ गोविंद दास के पुत्र रवि मोहन को पराजित किया था। शरद यादव मात्र 26 साल की उम्र में सांसद निर्वाचित हुए थे।इस दौरान उनका नारा था 'लल्लू को न जगधर को मोहर लगेगी हलधर को।' यादव के खिलाफ दो बार मीसा की कार्यवाही हुई और वे 7 और 11 महीने जेल में रहे। 1980 के लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त हुई थी आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वे दूसरी बार जबलपुर से सांसद निर्वाचित हुए थे। हालांकि, 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा और वे जमानत तक नहीं बचा पाए। इसके बाद उन्होंने जबलपुर की राजनीति छोड़कर उत्तर प्रदेश व बिहार में अपनी सियासी जमीन तलाशी। राजनीतिक रूप से त्याग करने के बाद भी कर्मभूमि जबलपुर से उनका लगाव कम नहीं हुआ। जबलपुर के विकास में जुटे रहे 1977 में शरद यादव के प्रयास से जबलपुर से दिल्ली तक सीधी ट्रेन की शुरुआत हुई। जबलपुर एयरपोर्ट, पश्चिम मध्य रेलवे जोन, ट्रिपल आईआईटी, एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना जबलपुर में उनके प्रयास से हुई। जबलपुर के विकास में उनकी भूमिका अहम रही। हल्के महाराज की पान की दुकान, देवा मंगोड़े वाला था ठिकाना दिग्गज नेता शरद यादव के सहयोगी व पत्रकार काशीनाथ शर्मा ने बताया कि मालवीय चौक में हल्के महाराज की पान की दुकान, फुहारा स्थित देवा मंगोड़े वाला तथा सराफा स्थित बुद्धन कचौड़ी वाला उनके ठिकाने होते थे। उनका छोटे तबके के लोगों से खास लगाव था और वे अपने भाषण में उनका जिक्र करते थे। वे किसी भी साथी के घर भोजन कर लेते थे। जिसके घर में जो मिला खा लेते थे। वे पूर्व सूचना देकर कभी नहीं पहुंचते थे। श्यामा भैया ने कहा था-'लाठी नहीं पड़ती तो नहीं बनते इतने बड़े नेता' जबलपुर विमानलत के विस्तारीकरण के लिए शरद यादव के प्रयास से राशि आवंटित हुई थी। इस अवसर में एयरपोर्ट पर आयोजित कार्यक्रम में यादव ने अपने भाषण में कहा था कि पंडित श्याम चरण शुक्ल की सरकार ने उन पर पुलिस से जमकर लाठियां चलवाईं थीं। इसके कारण उनका पैर खराब हो गया था। कार्यक्रम में मौजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. शुक्ला ने भी चुटकी लेते हुए कहा था 'पुलिस से डंडे नहीं पड़वाते तो आप इतने बड़े नेता नहीं बनते।' शरद यादव व कांग्रेस नेता श्यामाचरण शुक्ला (श्यामा भैया) के निजी संबंध बहुत अच्छे थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 13, 2023, 16:59 IST
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