SC: मेकेदातु परियोजना के निर्माण को सुप्रीम कोर्ट ने बताया 'असामयिक', तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कर्नाटक के मेकेदातु संतुलन जलाशय परियोजना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि यह मामला अभी 'असामयिक' है, क्योंकि फिलहाल तो केवल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की अनुमति दी गई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की बेंच ने कहा कि अभी परियोजना पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यह भी पढ़ें - Karnataka Politics: 'उनकी लाचारी सचमुच दयनीय', भाजपा नेता आर अशोक ने सिद्धारमैया को कहा- निवर्तमान मुख्यमंत्री 'केंद्रीय जल आयोग ने DPR तैयार करने की दी अनुमति' बेंच ने कहा, 'केंद्रीय जल आयोग ने सिर्फ डीपीआर तैयार करने की अनुमति दी है, वह भी तमिलनाडु की आपत्तियों और विशेषज्ञ समितियों की सलाह को ध्यान में रखते हुए। डीपीआर पर विचार करने से पहले सीडब्ल्यूएमए और सीडब्ल्यूआरसी की स्वीकृति अनिवार्य होगी। इसलिए यह याचिका इस चरण में असमय है।' 'DPR तैयार और दोनों समिति की राय पर होगा फैसला' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतिम फैसला डीपीआर तैयार होने और दोनों समितियों की राय आने के बाद ही लिया जाएगा। अदालत ने अपने पुराने आदेश की याद दिलाते हुए कहा कि 25 अगस्त 2023 को भी उसने यह टिप्पणी की थी कि अदालत के पास तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है, और ऐसे मामलों पर विशेषज्ञ संस्थाओं को ही फैसला लेने देना चाहिए। अदालत ने कहा, 'हम अपने पुराने आदेश को दोहराते हैं, इस तरह के मामलों में न्यायालय को नहीं, बल्कि विशेषज्ञों को निर्णय लेना चाहिए।' इसके साथ ही अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि कर्नाटक को अदालत के पूर्व आदेशों के अनुसार तमिलनाडु को आवश्यक जल छोड़ना ही होगा। अदालत ने चेतावनी दी अगर ऐसा नहीं किया गया तो, 'कर्नाटक अदालत की अवमानना का जोखिम उठाएगा।' यह भी पढ़ें - Tamil Nadu: राजभवन गेट के बाहर पेट्रोल हमले के आरोपी को NIA अदालत ने सुनाई सजा, 10 साल की सख्त जेल और जुर्माना क्या है मेकेदातु संतुलन जलाशय परियोजना मेकेदातु परियोजना कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा के पास, कनकपुरा (बंगलूरू दक्षिण) क्षेत्र में प्रस्तावित है, जो कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का गृह क्षेत्र भी है। यह परियोजना कावेरी नदी पर जल संचयन और पेयजल आपूर्ति के उद्देश्य से बनाई जानी है, लेकिन तमिलनाडु का कहना है कि इससे राज्य को मिलने वाले पानी की मात्रा घट जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से फिलहाल कर्नाटक को राहत मिली है, जबकि तमिलनाडु को अभी अपनी आपत्तियां विशेषज्ञ समितियों के समक्ष रखनी होंगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 13, 2025, 13:57 IST
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