सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता- एक सूनी नाव तट पर लौट आई

एक सूनी नाव तट पर लौट आई। रोशनी राख-सी जल में घुली, बह गई, बन्द अधरों से कथा सिमटी नदी कह गई, रेत प्यासी नयन भर लाई। भींगते अवसाद से हवा श्लथ हो गईं हथेली की रेख काँपी लहर-सी खो गई मौन छाया कहीं उतराई। स्वर नहीं, चित्र भी बहकर गए लग कहीं, स्याह पड़ते हुए जल में रात खोयी-सी उभर आई। एक सूनी नाव तट पर लौट आई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 29, 2024, 21:09 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता- एक सूनी नाव तट पर लौट आई #Kavya #Kavita #SarveshwarDayalSaxena #HindiPoems #SubahSamachar