कबाइली हमलों से लेकर शेख अब्दुल्ला की कश्मीर हड़पने की राजनीति तक, सभी घटनाएं दर्ज हैं 'गिल्डेड केज' में

आजादी के बाद के दिनों से ही कश्मीर, शेष भारत और दुनिया के लिए एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। कभी घुसपैठियों तो कभी आतंकवाद की आग में धू-धू कर जलता रहा है, तो कभी पंडितों के पलायन और उत्पीड़न की कथा लोगों को हिलाकर रख देती है। तब से अब तक बहुतेरे विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और लेखकों ने इसे अपने-अपने ढंग से समझने की कोशिश की है। संदीप बामजई की किताब 'गिल्डेज केज' भी इसी कोशिश का एक परिणाम है। किताब कश्मीर की राजनीतिक उठा-पटक का एक दिलचस्प लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। इस किताब में आजादी के बाद कश्मीर घाटी की घटनाओं का संपूर्ण इतिहास दर्ज है। संपूर्ण इतिहास मसलन कबाइली हमले से लेकर शेख अब्दुल्ला की राजनीति और जवाहरलाल नेहरू की कश्मीर नीति तक सबकुछ। संदीप की किताब कई मायनों में महत्वपूर्ण है खासकर आज कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है, यह समझने की कोशिश करने वाले किसी भी विद्वान या पत्रकार के लिए यह एक संदर्भ ग्रंथ की तरह है। संदीप के दादा के. एन. बामजई 'द ब्लिट्ज' में पत्रकार भी रहे हैं, वे दिल्ली के ब्यूरो थे, बाद में शेख अब्दुल्ला के निजी सचिव और नेहरू के ओएसडी के रूप में भी कार्य किया। यह के. एन. बामजई ही थे जिन्होंने 1947 में जब कबाइलियों ने जब कश्मीर में घुसपैठ कर हिंसा शूरू की तो तत्कालीन गवर्नर जाॅर्ज कनिंघम की एक चिट्ठी के हवाले से एक विस्फोटक खबर के जरिए घटना में पाकिस्तानी हुक्मरानों की भूमिका का खुलासा किया था।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 15:43 IST
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