Chandigarh-Haryana News: रिश्तेदार को अपनी ही अदालत में दे दी जमानत, जज से स्पष्टीकरण तलब

-जमानत रद्द करने के लिए शिकायतकर्ता ने लगाई थी हाईकोर्ट से गुहार-फरीदाबाद में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के तौर पर तैनात हैं वंदनाअमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। फरीदाबाद की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी वंदना द्वारा अपने रिश्तेदार को अपनी ही अदालत में जमानत देने के आरोपों पर कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें सीलबंद लिफाफे में इसे सौंपना होगा जिसके बाद कोर्ट आगे का निर्णय लेगा। याचिकाकर्ता आकाश वालिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेट वंदन असल में आरोपी ऋषभ वालिया की कजिन सिस्टर हैं। इसलिए उन्हें इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि रिश्तेदारी के बावजूद जमानत देना न्यायिक मर्यादाओं के विरुद्ध है और इससे निष्पक्षता पर प्रश्न उठता है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमित गोयल ने कहा, इस मामले में आगे बढ़ने से पहले कोर्ट उचित समझता है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी से टिप्पणियां प्राप्त की जाएं। रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया जाता है कि मजिस्ट्रेट वंदना से उनकी टिप्पणी सीलबंद लिफाफे में मंगाई जाए और अगली सुनवाई पर अदालत के समक्ष पेश की जाए। सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि वंदना वालिया असल में आरोपी ऋषभ वालिया की दूर की रिश्तेदार हैं। उधर, जब मजिस्ट्रेट वंदना ने आरोपित को जमानत दी थी, तब उन्होंने आदेश में यह सवाल उठाया था कि आखिर धारा 195 ए आईपीसी इस मामले में कैसे लागू होती है। उन्होंने कहा था कि यह धारा तभी लागू होती है जब किसी गवाह या व्यक्ति को अदालत में झूठा बयान देने के लिए धमकाया गया है जबकि एफआईआर और पुलिस रिकार्ड में ऐसा कोई संकेत नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर के लिए तय की है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि न्यायिक अधिकारी की टिप्पणी प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 08, 2025, 16:23 IST
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