Ram Mandir Dhwajarohan:अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को नहीं मिला ध्वजारोहण का निमंत्रण, छलका दर्द

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में हुए ध्वजारोहण समारोह में स्थानीय समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद को निमंत्रण नहीं मिलने पर एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। फैजाबाद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अवधेश प्रसाद ने सार्वजनिक रूप से इस पर अपनी गहरी नाराजगी और दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह निमंत्रण की उम्मीद में रात-दिन इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें न तो कोई कार्ड मिला और न ही किसी प्रतिनिधि ने संपर्क किया। स्थानीय सांसद होने और उनकी जन्मभूमि-कर्मभूमि अयोध्या होने के बावजूद निमंत्रण न मिलना, उनके लिए काफी पीड़ादायक रहा। अवधेश प्रसाद ने आरोप लगाया कि उन्हें दलित समाज से होने के कारण इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया, जो राम की मर्यादा के विरुद्ध है और यह कुछ लोगों की संकीर्ण सोच का परिचय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी पद या निमंत्रण के लिए नहीं, बल्कि सम्मान, बराबरी और संविधान की मर्यादा के लिए है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन आरोपों को निराधार बताकर खारिज कर दिया है, लेकिन कांग्रेस सांसद इमरान मसूद समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने अवधेश प्रसाद को आमंत्रित न किए जाने को लेकर भाजपा और योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा और उनके दलित होने की वजह से भेदभाव का आरोप लगाया। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में राम मंदिर के आयोजन को लेकर एक नई चर्चा छेड़ दी है। अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजारोहण समारोह का भव्य आयोजन 25 नवंबर, 2025 को किया गया, जिसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से विशिष्ट अतिथियों को निमंत्रण पत्र भेजे गए थे। यह समारोह राम मंदिर के निर्माण की पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। निमंत्रण पत्र पीले और भगवा रंग के संयोजन से अत्यंत सुंदर तरीके से डिजाइन किए गए थे और इन्हें इस भव्य आयोजन में शामिल होने वाले गणमान्य मेहमानों को भेजा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समारोह में भाग लिया और उन्होंने निर्धारित अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण किया, जिसका समय ज्योतिषियों के अनुसार लगभग 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहा। निमंत्रण भेजने का उद्देश्य केवल साधु-संतों, VVIPs, और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचित समुदायों (जैसे कोल, भील, बंजारे, कहार, नाई, कुम्हार) के लोगों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया, जो सामाजिक समरसता का एक महत्वपूर्ण संदेश था। इसके अलावा, कुछ मुस्लिम समुदाय के विशिष्ट व्यक्तियों को भी निमंत्रण दिया गया, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण या प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सकारात्मक भूमिका निभाई थी। अनुमानित रूप से समारोह में लगभग 7,000 से 8,000 मेहमानों को बुलाया गया था। ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण की पूर्णता की औपचारिक घोषणा की और मानवीय आदर्शों तथा रामराज्य की भावना का संदेश दिया। इस अवसर पर कई लोगों ने निमंत्रण न मिलने पर नाराजगी भी व्यक्त की, लेकिन कुल मिलाकर यह आयोजन भव्य और ऐतिहासिक रहा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 28, 2025, 13:00 IST
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