Railway: कोटा-मथुरा से हावड़ा-बर्द्धमान तक कवच 4.0 ने संभाली सुरक्षा कमान, 155 स्टेशन और 2,892 इंजर कवच से लैस

भारतीय रेलवे में यात्री सुरक्षा को नई दिशा देने वाली स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 तेजी से विस्तार कर रही है। रेल मंत्रालय द्वारा आरटीआई के तहत दी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि सितंबर 2025 तक 654 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर यह उन्नत सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह संचालन में आ चुकी है। मंत्रालय के अनुसार, कवच से लैस लोकोमोटिव और स्टेशनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, जिससे देश में सुरक्षित रेल परिचालन की दिशा में बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि अब तक 155 स्टेशन और 2,892 लोकोमोटिव कवच तकनीक से सुसज्जित किए जा चुके हैं। कवच 4.0 लोको पायलटों को निर्धारित गति सीमा में ट्रेन चलाने में मदद करता है और किसी भी आपात स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है। यह प्रणाली पूर्णत: देश में डिजाइन और विकसित की गई है तथा इसमें लोको कवच, स्टेशन कवच, टेलीकॉम टॉवर और ट्रैक के किनारे लगे आरएफआईडी टैग जैसी कई तकनीकें एक साथ काम करती हैं। इसका पहला फील्ड ट्रायल 2016 में और आधिकारिक गोद लेना 2020 में हुआ था। कवच किन रूटों पर चालू रेल मंत्रालय ने बताया कि कवच 4.0 को 30 जुलाई 2025 को 324 किमी के कोटा–मथुरा सेक्शन पर और 7 अक्टूबर 2025 को 225 किमी के कोटा-नागदा सेक्शन पर चालू किया गया। इन दोनों मार्गों के साथ पूरा 549 किमी लंबा मथुरा–नागदा रूट अब कवच सुरक्षा प्रणाली से कवर हो चुका है। इसके अलावा हावड़ा-बर्द्धमान (105 किमी) सेक्शन पर भी 12 सितंबर 2025 से कवच 4.0 सक्रिय है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि रूट किलोमीटर का अर्थ पूरी लाइन की लंबाई होता है, चाहे ट्रैक कितने भी हों। ये भी पढ़ें-बंगाल में जमा नहीं हुए 10 लाख गणना फार्म, मतदाता सूची से हट सकते हैं नाम कितने स्टेशन और लोकोमोटिव सुसज्जित मंत्रालय के अनुसार, 31 अक्टूबर 2025 तक 2,892 लोकोमोटिव कवच से लैस किए जा चुके थे। मथुरा-कोटा सेक्शन के 77 स्टेशन, कोटा-नागदा सेक्शन के 53 स्टेशन और हावड़ा-बर्धमान सेक्शन के 26 स्टेशन मिलाकर कुल 155 स्टेशन सितंबर 2025 तक इस तकनीक से सुसज्जित हो चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि सभी 18 रेलवे जोन में इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है और जल्द ही और बड़े रूट कवच से जुड़ेंगे। छह साल में 2,268 करोड़ रुपये खर्च रेल मंत्रालय ने 2020 से अब तक कवच पर हुए खर्च का भी ब्योरा दिया है। वर्ष 2020-21 में 66.04 करोड़ रुपये, 2021-22 में 98.42 करोड़ रुपये, 2022-23 में 156.26 करोड़ रुपये, 2023-24 में 669.76 करोड़ रुपये और 2024-25 में 926.37 करोड़ रुपये खर्च किए गए। मौजूदा वित्त वर्ष सितंबर 2025 तक इस पर 351.49 करोड़ रुपये और खर्च हुए। इस तरह छह साल छह महीने में कुल व्यय 2,268.34 करोड़ रुपये पहुंच गया है। धीमी रफ्तार पर उठे सवाल आरटीआई में सवाल उठाया गया कि रेलवे ने दावा किया था कि छह साल में पूरा 1,13,000 किमी नेटवर्क कवच से कवर किया जाएगा, जबकि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह संभव नहीं दिखता। अब भी 15,000 से अधिक लोकोमोटिव और 7,000 स्टेशन कवच से वंचित हैं। अधिकारियों ने जवाब दिया कि तकनीक जटिल है, लेकिन अब छह से अधिक कंपनियां कवच लगाने के काम में सक्रिय हैं और 15 से ज्यादा नए आवेदन प्रक्रिया में हैं। इससे आने वाले महीनों में कवच लगाने की गति कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 24, 2025, 21:48 IST
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