राही मासूम रज़ा: दिलों की राह पर आख़िर ग़ुबार सा क्यूँ है

दिलों की राह पर आख़िर ग़ुबार सा क्यूँ है थका थका मिरी मंज़िल का रास्ता क्यूँ है सवाल कर दिया तिश्ना-लबी ने साग़र से मिरी तलब से तिरा इतना फ़ासला क्यूँ है जो दूर दूर नहीं कोई दिल की राहों पर तू इस मरीज़ में जीने का हौसला क्यूँ है कहानियों की गुज़रगाह पर भी नींद नहीं ये रात कैसी है ये दर्द जागता क्यूँ है अगर तबस्सुम-ए-ग़ुंचा की बात उड़ी थी यूँही हज़ार रंग में डूबी हुई हवा क्यूँ है हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 31, 2025, 11:48 IST
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