Delhi NCR News: वकीलों के चैंबर की वंशानुगत व्यवस्था पर सवाल

हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर बार काउंसिल से मांगा जवाब, चार सप्ताह का समय अमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों के चैंबर के वंशानुगत और परिवार-आधारित आवंटन की व्यवस्था को संविधान की भावना के खिलाफ बताते हुए कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस प्रथा को संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया और पूछा कि “क्या किसी को सिर्फ इसलिए लाइन में आगे बढ़ने दिया जा सकता है क्योंकि वह किसी वकील का बेटा-बेटी या जीवनसाथी हैफर्स्ट जेनरेशन लॉयर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की बेंच ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी 2026 को होगी। याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट लॉयर्स चैंबर्स (अलॉटमेंट एंड ऑक्यूपेंसी) नियम-1980 के नियम 5ए को चुनौती दी गई है, जिसके तहत मृतक या प्रैक्टिस छोड़ चुके वकील के जीवनसाथी, बेटे-बेटी को चैंबर का स्वतः और प्राथमिकता के आधार पर आवंटन मिल जाता है।याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट रुद्र विक्रम सिंह ने दलील दी कि यह व्यवस्था पहली पीढ़ी के वकीलों और नए प्रैक्टिस करने वाले युवा अधिवक्ताओं के साथ खुला भेदभाव है। इससे कीमती सार्वजनिक स्थान का दुरुपयोग हो रहा है और हजारों मेहनतकश वकीलों को कार्यस्थल से वंचित रखा जा रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 03, 2025, 20:14 IST
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