Nepal: कौन हैं नेपाल के नए पीएम पुष्प कमल दहल? जानें सियासी पिच पर गेंमचेंजर बनकर उभरे 'प्रचंड' के बारे में

नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल 'प्रचंड' नेपाल के नए प्रधानमंत्री बन गए। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल 'प्रचंड' के बीच पीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों के समर्थन से पुष्प कमल दहल पीएम बन सके। पीएम बनने से पहले भी 'प्रचंड' ने दावा किया था कि अगली सरकार बनाने में उनकी पार्टी की अहम भूमिका रहेगी। बता दें कि पुष्प कमल दहल कल शाम तीसरी बार नेपाल के पीएम पद की शपथ लेंगे। इससे पहले हम आपको नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल के बारे में बताएंगे पहले जान लीजिए हैं कौन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल की पहचान नेपाल में विद्रोही नेता के तौर पर भी रही है। उन्होंने नेपाल में माओवादी विद्रोह का ना केवल नेतृत्व किया था बल्कि हिमालयी देश के राजशाही शासन को समाप्त कर देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था शुरू की थी। लोकतांत्रिक नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य भी पुष्प कमल दहल को ही मिला था। वह 2008-09 और फिर 2016-17 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। गरीब किसान परिवार में हुआ था जन्म पुष्प कमल दहल का जन्म मध्य नेपाल के पहाड़ी कास्की जिले में हुआ था। उनके परिजन गरीब किसान थे। जब वे 11 साल के थे तभी उनका परिवार चितवन जिले में रहने आ गया। यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। चितवन में ही एक स्कूली शिक्षक के संपर्क में आने के बाद कम्यूनिज्म को लेकर उनकी रुचि बढ़ी। इसके बाद साल 1975 में उन्होंने चितवन जिले के रामपुर में कृषि और पशु विज्ञान संस्थान से स्नातक किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1972 से अध्यापन को अपना पेशा बनाया। 1975 में वह यूएसएआईडी से जुड़े फिर साल 1981 में दहल नेपाल की अंडरग्राउंड कम्युनिस्ट पार्टी (चौथा सम्मेलन) में शामिल हो गए। इसके बाद राजनीति में उनका कद बढ़ता गया और 1989 में ने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) के महासचिव बन गए। यही पार्टी बाद में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बनी। 1990 में जब लोकतंत्र की बहाली हुई तब वे गुप्त रहकर काम करते थे। 1996 में जब नेपाल में राजशाही के खात्मे के लिए विद्रोही अभियान शुरू हुआ तो विद्रोह के 10 वर्षों के दौरान प्रचंड अंडरग्राउंड रहे। खास बात यह है कि उस दौरान आठ साल उन्होंने भारत में भी बिताए थे। अब पुष्प कमल दहल केपी शर्मा ओली के सहयोग से एक बार फिर नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। प्रचंड के पीएम बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों पर क्या पड़ सकता है असर बता दें कि पुष्प कमल दहल ने अपने विद्रोह के आठ साल भारत में बिताए थे। इसके अलावा वे कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। वहीं, केपी शर्मा ओली भी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे हैं। वहीं भारत में मौजूदा सरकार दक्षिणपंथी विचारधारा के ज्यादा नजदीक है। ऐसे में इसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ सकता है। इसके अलावा, दो साल पहले जब केपी शर्मा ओली नेपाल की सत्ता संभाल रहे थे उस समय वे चीन के साथ बीआरआई समझौता करने में खासी रुचि रखते थे। इस द्रष्टिकोण से भी नेपाल की नई सरकार भारत के लिए परेशानी बढ़ा सकती है। वहीं, प्रचंड की नई सरकार में केपी शर्मा ओली की पार्टी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। ऐसे में प्रचंड सरकार में उनका दखल भी ज्यादा रहेगा। इसको देखते हुए कालापानी और लिपुलेख को लेकर पूर्व में शुरू हुआ विवाद एक बार फिर सर उठा सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 25, 2022, 22:09 IST
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