Balrampur News: दस फीसदी बढ़े स्कूल बैग के दाम, यूनिफॉर्म भी हुई महंगी
बलरामपुर। नए शिक्षा सत्र में बच्चों के प्रवेश को लेकर अभिभावकों की दौड़ शुरू हो गई है। कई स्कूलों में परीक्षा परिणाम भी आ चुके हैं। अभिभावकों को किताबों की सूची भी दे दी गई है। एक तरफ जहां बच्चों के बस्ते का बोझ अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है वहीं ड्रेस और जूते-मोजे के दामों में भी 25 से 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल संचालकों ने सप्ताह में तीन तरह की ड्रेस तय कर रखी है। लगी बंधी दुकानें हैं जहां से ड्रेस-जूता-मोजा खरीदने के दबाव बनाया जाता है। एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू हो रहा है। महंगाई से परेशान अभिभावकों की जेब पर इस बार बच्चों की पढ़ाई का बोझ बढ़ गया है। नए सत्र में कॉपी किताबों के साथ स्कूल ड्रेस की कीमतों से अभिभावक परेशान हैं। ड्रेस की कीमत में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। शहर में हर एक निजी स्कूल का अपना-अपना ड्रेस कोड लागू है। स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को किताबों की सूची देने के साथ ही स्कूल ड्रेस का कलर, जूते-मोजों का डिजाइन भी दे रहे हैं। जिले में निजी स्कूलों की संख्या 400 के करीब है। हर स्कूल की अपनी अलग ड्रेस है। कहीं-कहीं किताबों में भी अंतर है। निजी स्कूलों ने जैसे बच्चों की किताबें खरीदने के लिए अपनी दुकानें निर्धारित कर रखी हैं वैसे ही ड्रेस और जूता-मौजा के लिए दुकान तय हैं। बच्चों की स्कूल ड्रेस निर्धारित दुकानों पर ही उपलब्ध है। यहां दाम निर्धारित हैं और कोई छूट नहीं। शहर के निजी स्कूल मनमानी के चलते अपने हिसाब से स्कूल ड्रेस का कलर बदल देते हैं। ये अभिभावकों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है। इस बार स्कूलों ने ड्रेस में ऐसे नियम लागू किए हैं जो अन्य दुकानों पर मिलना मुश्किल है। दरअसल, कमीज के बटनों तक पर स्कूल का नाम लिखवा दिया है। इसके अलावा ड्रेस की क्वालिटी तय कर दी है। यही अभिभावकों की जेब काट रहे हैं।------------------अभिभावकों का झलका दर्दअभिभावक संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल बच्चों की हर साल हाउस ड्रेस को बदल देते हैं। इसमें खेल करते हुए स्कूल सफेद मोजों की धारियों का रंग बदल नया लाने की घोषणा कर देते हैं। इससे अभिभावकों को हर साल ड्रेस और मोजे खरीदने पड़ते हैं। जबकि हफ्ते में तीन दिन अलग-अलग ड्रेस बच्चे पहनते हैं। सलोनी शर्मा ने बताया कि मेरी बेटी एक काॅन्वेंट स्कूल में कक्षा दूसरी की छात्रा है। स्कूल कॉपी, पाठ्य सामग्री, ड्रेस सभी कुछ अपनी बताई दुकानों से खरीदवाने का दबाव बना रहे हैं। स्कूल ने साफ तौर पर कहा है कि बच्चे को स्कूल में पढ़ाना है तो सभी सामग्री स्कूल की बताई दुकानों से खरीदनी होगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 21, 2025, 21:48 IST
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