Politics: पायलट ने उड़ाई पतंग, 'हाथ से हाथ जोड़ो' बैठक में नहीं पहुंचे, गहलोत-पायलट खेमों में खींचतान बढ़ी

गहलोत-पायलट खेमो में चल रहे सियासी दांव-पेच चुनावी साल आते ही एक बार फिर से शुरू हो गए हैं। कैसे राजस्थान में कांग्रेस का हाथ से हाथ जुड़ेगा, अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राहुल गांधी के निर्देश पर 26 जनवरी से शुरू होकर दो महीने तक चलने वाले हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की शुरूआत ही साथी विधायकों का हाथ और साथ नहीं मिलने से हुई। जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वॉर रूम में रखी गई अभियान की तैयारी बैठक में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत कई नेता गैर मौजूद रहे। जिसने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। पायलट समेत काफी नेता नहीं पहुंचे बैठक में पूर्व डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ रहे टोंक से मौजूदा पार्टी विधायक सचिन पायलट, पंजाब कांग्रेस प्रभारी और विधायक हरीश चौधरी, मंत्री अशोक चांदना, मंत्री शकुंतला रावत, 10 लोकसभा प्रत्याशी और करीब 15 जिलाध्यक्ष नहीं पहुंचे। आप सॉफ्ट हैं, कड़क होना होगा, जो बैठक में नहीं आए, उन्हें गम्भीरता दिखानी होगी कांग्रेस पार्टी की हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की पहली ही बड़ी बैठक में गुटबाजी देखने को मिली। जिससे नाराज प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बैठक में सख्त संदेश दिया। वॉर रूम में नेताओं की कम उपस्थिति देखकर रंधावा ने सीएम गहलोत से कहा- आप सॉफ्ट हैं, कड़क होना होगा। प्रदेश प्रभारी, मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी के बावजूद जो नेता बैठक में नहीं आए, उन्हें गम्भीरता दिखाना होगी। इस अभियान में पार्टी के सभी नेताओं और मंत्रियों की परफॉर्मेंस देखी जाएगी। परफॉर्मेंस के आधार पर ही चुनाव में टिकट दिए जाएंगे प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कांग्रेस नेताओं को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि जो बैठक में शामिल हुए हैं, उनका स्वागत है और जो नहीं आए हैं, उनकी जरूरत भी नहीं है। रंधावा बोले- इस अभियान के जरिए नेताओं की परफॉर्मेंस देखी जाएगी। चुनाव में परफॉर्मेंस के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। प्रभारी-पर्यवेक्षक की मौजूदगी के बावजूद जो नहीं आए, उन्हें गम्भीरता समझ में आ जाएगी सीएम गहलोत ने भी मामले की नज़ाकत देखकर और पूरा माजरा भांपकर बैठक में कहा कि प्रभारी और पर्यवेक्षक की मौजूदगी के बावजूद जो नेता बैठक में नहीं आए, उन्हें समझ में आ जाएगा कि इसकी गम्भीरता कितनी है। चर्चा यह रही कि अब अगली बैठक में जो नेता नहीं आएगा, उस पर पार्टी सख्त एक्शन ले सकती है। जल्द ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी का विस्तार भी होगा और इस साल विधानसभा चुनाव के टिकटों का वितरण भी होना है। नेताओं की पार्टी संगठन और कार्यक्रमों में परफॉर्मेंस के आधार पर ही तरजीह दी जाएगी। जो अभियान में इंट्रैस्ट नहीं लेगा, समझा जाएगा राहुल गांधी की यात्रा के साथ नहीं हाथ से हाथ जोड़ो अभियान का ऑब्जर्वर आरसी खूंटिया ने भी कहा कि मैं मार्च 2023 तक राजस्थान में इस अभियान के दौरान रहूंगा। जो नेता इस अभियान में इंट्रैस्ट नहीं लेंगे, तो यह समझा जाएगा कि वह राहुल गांधी की यात्रा के साथ नहीं है। जो बैठक में नहीं पहुंच रहे, उनकी जानकारी भी ली जाएगी। 325 से ज्यादा नेता अपेक्षित थे बैठक में सभी मंत्री, विधायक, विधायक प्रत्याशी, सांसद प्रत्याशी, कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के प्रदेशाध्यक्ष और प्रमुख, जिलाध्यक्षों समेत 33 जिलों में लगाए गए कॉर्डिनेटर्स को पहुंचना था। करीब 325 नेताओं को बैठक में शामिल होना था, लेकिन संख्या काफी कम रही। बैठक में ये प्रमुख नेता पहुंचे बैठक में सीएम अशोक गहलोत, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के अलावा मंत्री शांति धारीवाल, परसादीलाल मीणा, डॉ बीडी कल्ला, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, टीकाराम जूली, गोविंद राम मेघवाल, ममता भूपेश, हेमाराम चौधरी, ब्रजेंद्र ओला, रामलाल जाट, लालचंद कटारिया, प्रमोद जैन भाया, मुरारीलाल मीणा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, भंवर सिंह भाटी मौजूद रहे। साथ ही गुजरात चुनाव प्रभारी रहे विधायक और पूर्व मंत्री डॉ रघु शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, कांग्रेस नेता कुलदीप इंदौरा, धीरज गुर्जर, ब्रजकिशोर शर्मा समेत कई नेता मौजूद रहे। क्या राजस्थान में जुड़ेगा कांग्रेस का हाथ से हाथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के फॉलोअप के तौर पर 26 जनवरी से 26 मार्च तक हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू होने जा रहा है। यह अभियान चलाने के लिए खुद राहुल गांधी ने कहा है। प्रदेश प्रभारी रंधावा और ऑब्जर्वर खूंटिया ने पहली ही बैठक में नेताओं को साफ तौर पर चेतावनी दे दी है कि सभी को फील्ड में एक्टिव होकर काम करना होगा, तभी सरकार रिपीट होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सभी नेताओं को अभियान की अगली बैठक और अभियान के तहत यात्राओं में शामिल होना होगा। वरना कांग्रेस आलाकमान में गलत मैसेज जाएगा। दिखाने के लिए ही सही, सभी नेताओं को आगे से साथ आकर एकजुटता दिखानी होगी। यही पार्टी की स्ट्रैटेजी भी है कि जनता में एकजुटता का मैसेज चुनावी साल में जाना चाहिए। लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से कांग्रेस हाईकमान ने कुछ वादे कर रखे थे। उन्हें सीएम बनाने की तैयारियां थीं, जिस पर गहलोत खेमे ने दांव-पेच से विराम लगा दिया। अब पार्टी हाईकमान इस स्थिति में नहीं है कि कोई एक्शन ले सके। क्योंकि गहलोत खेमे के विधायक पायलट को सीएम बनाने की बात आने पर सामूहिक इस्तीफे देने और सरकार गिराने की चेतावनी तक पार्टी हाईकमान को दे चुके हैं। चुनावी साल में पार्टी नहीं चाहेगी कि सरकार गिरे। 16 और 17 जनवरी को चिंतन शिविर 16 और 17 जनवरी को प्रदेश कांग्रेस सरकार का चिंतन शिविर भी होगा। जिसमें मंत्री अपने-अपने विभाग की पूरी जानकारी देंगे। 15 से 17 जनवरी को प्रस्तावित प्रभारी मंत्रियों के दौरे को अब 19 से 20 जनवरी के बीच कर दिया गया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 09, 2023, 16:52 IST
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