पीएम मोदी की साहित्यिक कूटनीति: भगवत गीता से लेकर एससीओ तक, भारत की ज्ञान और संस्कृति दुनिया तक पहुंचेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत दौरे पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बृहस्पतिवार को रूसी भाषा में अनुदित भगवत गीता भेंट की थी। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब उन्होने भारत के साहित्य और संस्कृति को वैश्विक मंच तक पहुंचाने में रुचि दिखाई हो। पीएम मोदी पहले भी भारतीय ज्ञान को देश की सीमाओं से परे पहुंचाने की पहल कर चुके हैं। साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव के श्रीनिवास राव बताते हैं कि 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय साहित्यिक कृतियों को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की भाषाओं में अनुदित कराने का विचार रखा था। उस समय एससीओ शिखर सम्मेलन किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में हुआ था। तब प्रधानमंत्री ने दस आधुनिक भारतीय साहित्यिक कृतियों का एससीओ देशों की भाषाओं में अनुवाद कराने की बात कही थी ताकि इन देशों के पाठक सीधे भारतीय लेखन तक पहुंच सकें। कूटनीतिक जुड़ाव का माध्यम है साहित्य प्रधानमंत्री के इस कदम से भारत की साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत वैश्विक बातचीत का हिस्सा बनी। राव ने कहा कि यह पहल दर्शाती है कि साहित्य और आध्यात्मिक ग्रंथ उनके कूटनीतिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जब भारत ने कोविड के दौरान एससीओ की अध्यक्षता संभाली, तो अनुदित कृतियों को औपचारिक रूप से जारी किया गया। चाहे आधुनिक कृतियों के माध्यम से हो या कालातीत आध्यात्मिक ग्रंथों के माध्यम से, प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की कहानियां, विचार और ज्ञान सीमाओं से परे पहुंचें और और शब्दों की शक्ति के माध्यम से देशों को जोड़ें। चीन के ग्लोबल टाइम्स में भी पुतिन की यात्रा की चर्चा चीनी सरकारी मीडिया समूह ग्लोबल टाइम्स राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उस टिप्पणी को प्रमुखता से प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने भारत और चीन दोनों को रूस का घनिष्ठ मित्र बताया मगर इस बात पर जोर दिया कि मॉस्को को चीन और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। रूस के घनिष्ठ सहयोगी चीन ने हालांकि पुतिन की भारत यात्रा पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है मगर वह इसके परिणामों पर नजर बनाए हुए है। पुतिन की भारत यात्रा को चीन की आधिकारिक मीडिया ने ज्यादातर नजरअंदाज किया। उसने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की बीजिंग की वर्तमान यात्रा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने पुतिन की इस टिप्पणी पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की कि वह भारत और चीन के साथ रूस के संबंधों को कैसे देखते हैं। दैनिक ने इंडिया टुडे को दिए पुतिन के साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा, भारत और चीन हमारे सबसे करीबी दोस्त हैं, हम इस रिश्ते को बहुत महत्व देते हैं। लेकिन सतर्क टिप्पणी भी की कि भारत और चीन के साथ घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद, रूस को उनके द्विपक्षीय संबंधों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 06, 2025, 05:37 IST
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