Sonebhadra News: करोड़ों खर्च कर बने भवन में रह रहे कबूतर, धूल फांक रहे करोड़ों के उपकरण

सोनभद्र। इसे राजनीतिक उपेक्षा कहें या फिर सिस्टम की बेरूखी। जिला अस्पताल परिसर में साढ़े सात साल पूर्व लोकार्पण होने के बाद भी प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट का संचालन शुरू नहीं हो सका है। यहां करोड़ों खर्च कर खरीदे गए कई संसाधन धूल फांक रहे हैं। कर्मचारियों की तैनाती ना होना इसकी प्रमुख वजह है। ऐसे में मरीजों को वाराणसी ले जाना पड़ता है।अति पिछड़े जिले में शामिल सोनभद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने पर विशेष जोर है। बावजूद इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा। जिले में जब भी आग की चपेट में आने से कोई बड़ी घटना होती है तो प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों को वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। वह भी तब, जबकि यहां करोड़ों की लागत से तैयार प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट मौजूद है। तत्कालीन सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने 1 जून 2015 को इसका लोकार्पण किया था। उस दौरान बड़ी तादाद में उपकरण भी खरीदे गए। कार्यदाई संस्था उप्र प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लि. निर्माण ईकाई मिर्जापुर की ओर से निर्मित वातानुकूलित प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट को साढ़े सात वर्षों से संचालन की दरकार है। इस यूनिट की स्थापना के बाद उम्मीद थी कि आग से झुलसे मरीजों को यहीं इलाज मिल जाएगा। सर्जरी भी यहीं हो सकेगी, लेकिन यूनिट बनने के बाद डॉक्टरों और स्टाफ की तैनाती आज तक नहीं हुई। यही कारण है कि इसका भवन भी आज तक बंद पड़ा है। करीब चार माह पूर्व जिले में पहुंचे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से इसके संचालन का भरोसा दिया। मगर चार माह बाद भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।अफसर गए भूल, 30 से अधिक बेड फांक रहे धूलदो तल वाले बर्न यूनिट के संचालन ना होने से पूर्व में लाखों खर्च कर लगाए गए 30 से अधिक बेड धूल फांक रहे हैं। वहीं कमरों के साथ ही वार्डों में धूल की मोटी परत जमी पड़ी है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह उपयोग लायक नहीं बचेंगे।एसी पर लाखों खर्च लाभ शून्य वातानुकूलित प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट के संचालन के लिए दर्जनों एसी खरीदे गये थे। इस भवन में कुछ वार्डों में एसी तो लगी है, मगर उसका लाभ शून्य है। पड़ताल के दौरान एसी की फिड करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दस से अधिक उपकरण हाल में डब्बे में बंद मिले, जबकि एसी नदारद मिली। सूत्रों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि कुछ एसी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने अपने आवासों में लगा रखा है।बिजली संयंत्र हो रहे खराबयूनिट पर हमेशा ताला लटकता है। इमारत की देखरेख ढंग से न होने से अंदर से बाहर तक धूल और गंदगी है। यूनिट का प्लास्टर भी दरकने लगा है। कमरों के अंदर रखे उपकरण पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं। यूनिट को कबूतरों ने अपना ठिकाना बना लिया है। यहां बिजली व्यवस्था के लिए लाखों के उपकरण लगे हैं। वहीं बर्न संबंधी मामलों में प्रयोग आने वाले कई उपकरण है। बड़ी तादाद में आलमारी भी लगी है, जो अब खराब हो रहे हैं।बर्न यूनिट के संचालन के लिए पूर्व में प्रयास किए गए मगर अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की कमी के कारण बर्न यूनिट संचालित नहीं हो पा रही है। अगर कर्मचारी मिल जाएं तो इसका संचालन शुरू किया जा सकता हैै। इसके लिए पत्राचार किया जाएगा। - डॉ. सीएपी सिन्हा, सीएमएस जिला अस्पताल।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 10, 2023, 23:38 IST
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