Ujjain: पंचक्रोशी यात्रा की धूम, पहले किए भजन...फिर भगवान नागचन्द्रेश्वर को घोड़ा चढ़ाकर वापस किया यात्रा का बल

वैशाख की चिलचिलाती धूप भी जब संकल्प के सामने नतमस्तक हो जाए और आस्था की शक्ति के आगे सूर्य की तपन भी पराजित सी प्रतीत हो, तब ऐसी अद्भुत छवि देखने को मिलती है पंचक्रोशी यात्रा में। लगभग 118 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर यात्रा का समापन करने वाले श्रद्धालुओं के चेहरों पर न थकान की रेखाएं नजर आती हैं, न ही किसी प्रकार का कष्ट झलकता है। भोलेनाथ की भक्ति में पूरी तरह रंगे ये यात्री भजन-कीर्तन करते हुए ऐसे प्रतीत होते हैं मानो एक ही परिवार के सदस्य हों। सामूहिक भजन गायन, पवित्र जल से शिवलिंग का अभिषेक, पीपल, बरगद और तुलसी की पूजा तथा भोजन प्रसादी का आयोजन इस यात्रा को चलते-फिरते एक विशाल परिवार का रूप प्रदान करता है। इस यात्रा की एक विशेष बात यह भी है कि पंचक्रोशी यात्री पटनी बाजार क्षेत्र स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर उन्हें मिट्टी के घोड़े अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित अनिमेष शर्मा बताते हैं कि यात्रा शुरू करने से पहले यात्री भगवान नागचंद्रेश्वर से बल प्राप्त करते हैं और यात्रा पूर्ण होने पर इस बल को प्रतीकात्मक रूप से मिट्टी के घोड़े के रूप में वापस अर्पित करते हैं। कठिन यात्रा में सभी आयुवर्ग के श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। पांच वर्ष के बच्चे से लेकर अस्सी वर्ष के वृद्ध तक पूरे उत्साह और फुर्ती से पैदल चलते हुए नजर आते हैं। इस दुर्गम और लंबी राह में जब कोई यात्री थक जाता है, तो सहयात्री उसका उत्साह बढ़ाते हैं। पैरों में छाले पड़ने पर साथ चलने वाले यात्री स्वयं मरहम लगाकर पट्टी बांधते हैं। यदि कोई बीमार हो जाता है तो सेवा करने वालों की कतार लग जाती है। सहयोग, सहकार और मित्रता का अनूठा संगम पंचक्रोशी यात्रा में सहज ही दिखाई देता है। पढ़ें:बांदकपुर जागेश्वरनाथ धाम में 100 करोड़ की लागत से बनेगा भव्य कॉरिडोर, 9 मई को सीएम करेंगे भूमिपूजन यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद रहा। मुख्य आगर मार्ग पर अत्यधिक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक डीएसपी विक्रम सिंह कनपुरिया पुलिस बल के साथ सक्रिय दिखे। मुख्य सड़क का एक हिस्सा केवल पंचक्रोशी यात्रियों के लिए सुरक्षित रखा गया, जबकि वाहनों को दूसरी ओर से निकाला गया। पंचक्रोशी यात्रा में भाग ले रहे श्रद्धालुओं ने भी अपनी भावनाएं साझा कीं। वृंदावन के भरतदास ने कहा कि बाबा भोलेनाथ के भजन और कीर्तन से पूरी थकान मिट जाती है और एक नई ऊर्जा तथा प्रेरणा मिलती है। तपती दोपहर में तंबू के भीतर कीर्तन मंडलियां सभी में जोश भर देती हैं, जिससे आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। महर्षि सांदीपनि स्कूल में पढ़ने वाली केजी सेकंड की छात्रा नियति चौहान ने कहा कि वह पहली बार अपने भैया और मां के साथ पंचक्रोशी यात्रा कर रही हैं। पैदल चलने से पैरों में छाले पड़ गए हैं, लेकिन हार मानने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि वह एक फौजी की बेटी हैं और उनके पापा ने उन्हें हारना सिखाया ही नहीं। बांदका के मास्टर राज ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने यात्रा निर्विघ्न पूरी कर ली है। उन्हें बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं हो रही और वे बहुत आनंदित हैं। उन्होंने संकल्प लिया कि अब वे हर वर्ष पंचक्रोशी यात्रा में हिस्सा लेंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 27, 2025, 08:36 IST
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