Mathura: ओरछा नरेश ने कराया था श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर निर्माण, आगरा से दिखता था, औरंगजेब ने किया विध्वंस

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण में नित नए-नए दावे किए जा रहे हैं। अब जिस भव्य मंदिर को औरंगजेब द्वारा सन 1670 में विध्वंस करने की बात की गई है, वह भव्य मंदिर अकबर के एक मात्र वारिस शहजादे सलीम की जान बचाने की कीमत पर ओरछा नरेश वीर सिंह बुंदेला के पिता मधुकर बुंदेला ने बनवाया था। इसका निर्माण 1618 में 33 लाख रुपये की कीमत से कराया गया था। यह मंदिर इतना भव्य और विशाल था कि आगरा से ही दिखाई देता था। अकबर का एकमात्र पुत्र शहजादा सलीम जो अनारकली से बेइंतहा मोहब्बत करता था। अकबर को जब यह बात पता चली तो वह इसके खिलाफ थे। अकबर ने सलीम को समझाना चाहा, लेकिन वह नहीं माना। इस पर एक दिन दोनों आमने-सामने हो गए और दोनों में युद्ध होने लगा। युद्ध में पुत्र सलीम को अकबर से जान बचाकर भागना पड़ा। सलीम जान बचाने के लिए कई राजाओं के पास गया, लेकिन अकबर के प्रभाव के कारण सभी ने उसे शरण देने से मना कर दिया। आखिर में वह ओरछा राजा मधुकर बुंदेला के पास गया। मधुकर बुंदेला ने उसे शरण दे दी। सलीम उनके पुत्र वीर सिंह बुंदेला के साथ रहने लगा। इसकी जानकारी लगने पर लगभग सन 1573 में अकबर ने अपनी सेना को ओरछा राज्य पर हमले का आदेश दिया। सेना ने ओरछा के बाहर डेरा डाल दिया। हमले की भनक लगने पर ओरछा राजा मधुकर बुंदेला ने रात को एक अनोखी युक्ति से काम किया। रात में जिस समय सैनिक आराम कर रहे थे, उस समय ओरछा राजा ने अपने राज्य की सभी भैंस और भैंसा के सींगों पर मशाल लगाकर सैनिकों के बीच में दौड़ा दिया। जहां सैनिकों का शस्त्र भंडार था, उसमें विस्फोट करा दिया। इससे अकबर की सेना के अनगिनत सैनिक मारे गए। युद्ध में हुई अप्रत्याशित हार के बाद अकबर ने राजा मधुकर बुंदेला के पास शांति प्रस्ताव भेजा। साथ ही सलीम को वापस करने की मांग की। ओरछा राजा ने शर्त रखी कि वह सलीम को एक ही शर्त पर वापस करेगा। वह शर्त थी कि अकबर उसे फांसी नहीं देगा। इस शर्त पर ओरछा राजा मधुकर बुंदेला ने सलीम को पिता अकबर को वापस कर दिया। बाद में जब सलीम, जहांगीर बनकर गद्दी पर बैठा तो मधुकर बुंदेला के पुत्र वीर सिंह बुंदेला ओरछा के राजा बने। उन्होंने सलीम की जान बचाने के अहसान की कीमत पर भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। जिसे औरंगजेब ने विध्वंस कर दिया था। प्रतिष्ठा प्रकाश के आठवें वॉल्यूम में है पूरी जानकारी वीर सिंह बुंदेला के दरबारी वीर मैत्रैय ने पूरे प्रकरण का जिक्र लगभग सन 1623 में लिखी गई अपनी पुस्तक प्रतिष्ठा प्रकाश में किया है। वीर मैत्रैय ने प्रतिष्ठा प्रकाश के कुल 22 वॉल्यूम लिखे। आठवें वॉल्यूम में शहजादे सलीम की ओरछा नरेश मधुकर बुंदेला द्वारा जान बचाने की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि सलीम के गद्दी पर बैठने के बाद ओरछा राजा वीर सिंह बुंदेला ने भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनवाया था। इसे औरंगजेब ने तोड़ा था। -महेंद्र प्रताप सिंह, पक्षकार श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास अध्यक्ष

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 08, 2023, 20:19 IST
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