BSF: 'ऑपरेशन सिंदूर' में असाधारण साहस दिखाने वाले एसआई इम्तियाज और सिपाही दीपक चिंगखम को मरणोपरांत वीर चक्र

'ऑपरेशन सिंदूर' में असाधारण साहस दिखाने वाले बीएसएफ के एसआईमो. इम्तियाज और सिपाही दीपक चिंगखम को मरणोपरांत 'वीर चक्र' से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। इन दोनों ने विपरित परिस्थितियों में पाकिस्तानी ड्रोन, उनकी पोस्ट और मोर्टार की स्थिति को भारी नुकसान पहुंचाया था। अपनी गंभीर हालत के बावजूद, अंतिम क्षण तक मो. इम्तियाज अपने जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। इसी तरह कांस्टेबल दीपक चिंगखम ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अपने चौकी कमांडर के साथ ही खड़े रहने का फैसला किया और लड़ते रहे। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान उप निरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज, जम्मू क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अत्यधिक संवेदनशील बीओपी खारकोला के पोस्ट कमांडर थे। 9 मई 2025 को उनकी पोस्ट पर सीमा पार से भारी गोलाबारी हुई। उनके अधीन सैनिकों ने बहादुरी से जवाबी कार्रवाई की, जिससे पाकिस्तान की पोस्ट और उनकी मोर्टार की स्थिति को भारी नुकसान पहुंचा। गंभीर चोटों के बावजूद, इन्होंने बहादुरी से पाकिस्तान की सेना को करारा जवाब दिया। अंतिम क्षण तक अपने जवानों का हौसला बढ़ाया। 10 मई 2025 को तड़के उप निरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज और उनके सैनिकों ने विस्फोटक पेलोड गिराने या मोर्टार फायर का मार्गदर्शन करने के इरादे से बीओपी खारकोला पर घुसपैठ कर रहे ड्रोनों को देखा। इस हवाई खतरे से अपने सैनिकों के लिए आसन्न खतरे को भांपते हुए, वह युक्तिपूर्ण तरीके से बंकर से बाहर निकले। उन्होंने दुश्मन को तेजी से जवाब देने के लिए अपने सैनिकों को पुनर्गठित किया। इस बीच उन्होंने सफलतापूर्वक एक पाकिस्तानी ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया। इसी दौरान, ड्रोन द्वारा गिराया गया एक मोर्टार गोला सीमा चौकी के अंदर फटा, जिससे उन्हें और उनके कुछ सैनिकों को गंभीर चोटें आईं। गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने बहादुरी से जवाबी कार्रवाई जारी रखी और अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाया। उन्हें जम्मू के आर्मी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। विपरीत परिस्थितियों में उनके असाधारण साहस और निस्वार्थ नेतृत्व के सम्मान में, उन्हें मरणोपरांत "वीर चक्र" से सम्मानित किया गया है। ये भी पढ़ें:Op Sindoor:ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका के लिए DG ऑपरेशंस होंगे सम्मानित; 16 BSF जवानों को गैलेंट्री अवॉर्ड आरक्षक दीपक चिंगखम जम्मू के अति संवेदनशील बीओपी खारकोला में तैनात थे, जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर है। वे अपने पोस्ट कमांडर उप निरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज के साथी थे। 9/10 मई 2025 की मध्यरात्रि के दौरान, बीओपी खारकोला पर काउन्टरपार्ट द्वारा भारी गोलाबारी और ड्रोन हमले किए गए। उप निरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज की कमान में बीएसएफ के जवानों ने सटीक और दृढ़ जवाबी कार्रवाई की, जिससे पाकिस्तान की पोस्ट और उनकी मोर्टार फायरिंग पोजिशन को भारी नुकसान पहुंचा। 10 मई की तड़के, संभवतः विस्फोटक गिराने या मोर्टार फायर करने के लिए कुछ ड्रोन पोस्ट के पास पहुंचे। आरक्षक दीपक चिंगखम अपने पोस्ट कमांडर उप निरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज के साथ गए, जो ड्रोन खतरे को बेअसर करने के लिए सैनिकों को पुनर्गठित कर रहे थे। अपनी गंभीर हालत के बावजूद, कांस्टेबल दीपक चिंगखम ने अपनी चौकी कमांडर के साथ ही खड़े रहने का फैसला किया और लड़ते रहे। वह बिना किसी मदद के रेंगते हुए मोर्चे तक पहुंचे और अपनी जगह पर डटे रहे। उन्हें जम्मू के सैन्य अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। विपरीत परिस्थितियों में अपनी चौकी की रक्षा के लिए उनके अद्वितीय संकल्प और कर्तव्य के प्रति अटूट समर्पण के सम्मान में, कांस्टेबल दीपक चिंगखम को मरणोपरांत "वीर चक्र" से सम्मानित किया गया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 18:17 IST
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