मुद्दा : ऑनलाइन गेमिंग... केवल प्रतिबंध लगाना ही मकसद नहीं, सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देना भी लक्ष्य

बीते 22 अगस्त को भारत ने डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा जब ऑनलाइन गेमिंग के प्रोत्साहन और विनियमन अधिनियम, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली। यह कानून वास्तविक धन आधारित गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है और साथ ही ई-स्पोर्ट्स व सामाजिक गेमिंग को बढ़ावा देने के लिए ढांचा तैयार करता है। भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 2024 में 3.7 अरब डॉलर का था, जिसमें 1,900 कंपनियों में 1.3 लाख से अधिक लोग काम कर रहे थे। करीब 59.1 करोड़ गेमर्स के साथ (जो वैश्विक गेमिंग आबादी का 20 फीसदी है) भारत दुनिया का सबसे बड़ा गेमिंग बाजार बन चुका है। इस कानून के तहत वास्तविक धन वाले गेम्स पर प्रतिबंध से इस उद्योग की दिशा बदल जाएगी। कानून ऑनलाइन गेमिंग की तीन श्रेणियों में स्पष्ट अंतर करता है। पहला, पूर्ण प्रतिबंध: सभी वास्तविक धन वाले गेम्स जिनमें पैसे या दांव लगाकर धन लाभ की उम्मीद की जाती है, अब अवैध हैं। इसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी जैसे लोकप्रिय प्रारूप शामिल हैं। दूसरा, प्रोत्साहन: ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल के रूप में मान्यता दी गई है। सरकार इस श्रेणी के लिए प्रशिक्षण अकादमियां, वित्तीय प्रोत्साहन और नियामक तंत्र स्थापित करेगी। और तीसरा, विनियमन: अन्य वैध डिजिटल गेम्स के लिए एक केंद्रीय प्राधिकरण बनाया जाएगा, जो गेम्स को वर्गीकृत करेगा, शिकायतें सुनेगा और अनुपालन सुनिश्चित करेगा। कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना, बार-बार अपराध करने पर पांच साल तक की कैद और दो करोड़ रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है। विज्ञापन उल्लंघन पर 50 लाख रुपये तक का दंड लगाया जा सकता है। सरकार इस प्रतिबंध के पीछे सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं का तर्क देती है। वर्ष 2023 से 2025 के बीच कर्नाटक पुलिस ने 32 आत्महत्याओं को ऑनलाइन जुए के नुकसान से जोड़ा है। तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण ने भी ऐसे मामलों को चिह्नित किया है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 45 करोड़ भारतीय ऐसे गेम्स खेलते हैं और कई परिवार वित्तीय नुकसान से बर्बाद हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गेमिंग डिसऑर्डर को चिकित्सकीय समस्या माना है। सरकार का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य हानि, पारिवारिक कर्ज और आत्महत्याओं जैसे सामाजिक नुकसान आर्थिक लाभ से कहीं बड़े हैं। इसके अलावा, जांच एजेंसियों ने पाया कि कुछ प्लेटफॉर्म आतंकवाद वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संचार के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। ऑफशोर प्लेटफॉर्म घरेलू नियमन से बाहर थे और बड़े पैमाने पर धन देश से बाहर भेज रहे थे। इस प्रतिबंध का आर्थिक नुकसान भी होगा। वर्ष 2024 में वास्तविक धन वाले गेम्स से 85.7 फीसदी यानी 3.2 अरब डॉलर का राजस्व आया। 2029 तक इस उद्योग के 9.1 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। अब यह सब संकट में है। आईटी सचिव एस. कृष्णन के अनुसार, इससे सरकार को सालाना 15,000–20,000 करोड़ रुपये जीएसटी का नुकसान होगा। कुल कर हानि 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। उद्योग निकायों का कहना है कि दो से चार लाख नौकरियां दांव पर हैं और 25,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रभावित होगा। ड्रीम 11 ने कानून पारित होते ही सभी पेड कॉन्टेस्ट बंद कर दिए और अब वह केवल 'फ्री-टू-प्ले' प्रारूप और स्पोर्ट्स टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसी तरह, एमपीएल और अन्य कंपनियां भी नए मॉडल तलाश रही हैं—जैसे विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन आधारित गेम्स। इस कानून के बन जाने से वर्षों से चली आ रही इस बहस का भी अंत हो गया कि फैंटेसी स्पोर्ट्स और रम्मी कौशल आधारित गेम्स हैं या नहीं। अब कोई अस्पष्टता नहीं रही। यह कमजोर आबादी को नशे की आदत डालने वाले एल्गोरिदम से भी बचाता है। हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह कानून भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाएगा। इसके चलते उपयोगकर्ता ऑफशोर प्लेटफॉर्म की ओर जा सकते हैं, जहां न उपभोक्ता सुरक्षा है और न ही कर वसूली। सरकार कहती है कि यह कानून केवल प्रतिबंध के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए भी है। ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देकर, प्रशिक्षण अकादमियां स्थापित कर और गैर-मौद्रिक गेमिंग में नवाचार को प्रोत्साहित करके युवाओं को सकारात्मक दिशा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 'ऐतिहासिक सुधार' बताते हुए कहा है कि यह समाज की रक्षा करेगा और ई- स्पोर्ट्स को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा। कुल मिलाकर, यह कानून भारत की डिजिटल नीति में मील का पत्थर है। यह कानून सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, साथ ही ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेमिंग के विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है। (साथ में अक्षिता गुप्ता)

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 25, 2025, 07:11 IST
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