Aligarh News: कभी 10 नदियां बहती थीं शहर में, एक भी नहीं बची

अलीगढ़ की चौहद्दी में कभी 10 नदियां कल-कलकर बहा करती थीं। इनका पानी से खेत-खलिहानों तक पहुंचता था। सिंचाई से फसलें लहलहाती थीं। लेकिन पर्यावरणीय परिवर्तन से अधिकतर नदियों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। कुछ अवैध कब्जे की भेंट चढ़ गई हैं। कई जलस्रोत भी वजूद खो बैठे हैं। महानगर में लाल डिग्गी तालाब पर कब्जा इसका ज्वलंत मिसाल है। इस तालाब की गोद में हैबिटेट सेंटर की इमारत खड़ी कर दी गई है। डीएस कॉलेज के भूगोल विभाग के प्रो. अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या है। इससे अलीगढ़ भी अछूता नहीं है। महानगर में बेशुमार वाहनों में दहक रहा ईधन, रेफ्रीजरेटर और धुआं और प्रदूषणकारी तत्वों को उगलतीं फैक्टरियां, एयर कंडिशनर का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग में इजाफा कर रहा है। यह समस्या अकेले अलीगढ़ की नहीं है। बेतरतीब और शहरीकरण की अंधी दौड़ को रोककर इस आपदा से बचा जा सकता है। महानगर में सैकड़ों छोटी-बड़ी फैक्टरी और ग्लोबल वार्मिंग पर अधिक घातक असर डालती है। प्राकृतिक उपहारों का नव उदारवाद नीतियों से लैस सरकारी तंत्र द्वारा दमन पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण नियामकों का कड़ाई से पालन के साथ-साथ जन जागरूकता ही इस भयावह संकट से निजात दिला सकती है, जो वर्तमान हालात को देखते हुए दूर की कौड़ी नजर आती है। कपास की फसल पर जलवायु परिवर्तन का असर डीएस कॉलेज के भूगर्भ के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. पीके शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर अलीगढ़ और आसपास क्षेत्र की कपास की फसल पर ज्यादा पड़ेगा। दरअसल, जब फसल को धूप, बारिश और ठंड को जरूरत होती है, तब यह चीजें होती हैं, जिससे फसल असर पड़ना लाजिमी है। इसकी सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है। कभी अधिकतम तापमान, न्यूनतम तापमान, औसत तापमान, अधिकतम और न्यूनतम तापमान में अंतर, सुबह की आर्द्रता, शाम की आर्द्रता में अंतर और वर्षा। यह फसल पर अपना असर डालते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 06, 2023, 16:49 IST
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