Onam 2025: ओणम आज, जानें इस पर्व की कहानी और धार्मिक महत्व
Onam Festival: ओणम दक्षिण भारत, विशेष रूप से केरल का एक प्रमुख और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व है, जो हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के वामन अवतार और पराक्रमी एवं प्रजा-प्रिय राजा महाबलि की स्मृति में मनाया जाता है। मान्यता है कि वामन रूप में भगवान विष्णु ने त्रिक्रम करके राजा बलि को पाताल लोक भेजा था, लेकिन उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें हर वर्ष धरती पर अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी गई। ओणम उसी पुनरागमन की खुशी में मनाया जाता है। यह पर्व मलयाली समुदाय के लिए केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और समृद्धि का प्रतीक भी है। ओणम के दौरान घरों को फूलों की सजावट (पुक्कलम), पारंपरिक भोजन (ओणसद्या), नौका दौड़, नृत्य और लोक गीतों से सजाया जाता है। साल 2025 में यह पर्व 5 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा, जब ऐसा माना जाता है कि राजा महाबलि एक बार फिर अपनी प्रजा का हाल जानने धरती पर आएंगे। ओणम एक भव्य और आनंदमय पर्व है, जो हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसकी अवधि कुल दस दिनों की होती है। इस महोत्सव की शुरुआत त्रिक्काकरा स्थित केरल के एकमात्र वामन मंदिर से होती है, जिसे इस पर्व का धार्मिक केंद्र माना जाता है। मलयालम भाषा में ओणम को थिरुवोणम कहा जाता है, और यह त्योहार हर साल खास श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। Chandra Grahan 2025:3 घंटे 29 मिनट तक रहेगा चंद्र ग्रहण, प्रभाव से बचने के लिए करें यह एक काम ओणम से जुड़ी कथा ओणम का पर्व मुख्य रूप से नई फसल की खुशी और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कथा भी जुड़ी है। यह त्योहार असुर राजा महाबलि की भक्ति, उदारता और समर्पण की याद में मनाया जाता है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में जब राजा बलि ने अपनी तपस्या और शक्ति के बल पर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो देवता भयभीत हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया – एक बौने ब्राह्मण के रूप में – और राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे। बलि ने वचन दिया था कि वह यज्ञ में आने वाले किसी भी व्यक्ति की इच्छा पूरी करेगा। वामन ने उससे केवल तीन पग भूमि मांगी। लेकिन जब भगवान ने अपना विराट रूप धारण किया, तो पहले पग में पूरी पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा बलि ने श्रद्धा से अपना सिर आगे कर दिया। भगवान ने तीसरा पग उसके सिर पर रखा और उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पाताल का राजा बना दिया और उसकी यह इच्छा भी पूरी की कि वह हर वर्ष अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सके। इसी आगमन की खुशी में केरल में ओणम का पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि प्रेम, एकता और समर्पण की मिसाल भी है। Bhado Purnima 2025:भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा चंद्र ग्रहण, अपनी राशि के अनुसार इन चीजों का दान होगा लाभकारी डिस्क्लेमर (अस्वीकरण):यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 05, 2025, 07:09 IST
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