UP: टूटी सड़कों से लोग बेहाल, आगरा नगर निगम का हाल देखें...काम कराने के लिए नहीं मिल रहे ठेकेदार
गली-मोहल्लों की सड़कों और नालियों को दुरुस्त कराने के लिए 150 से ज्यादा कार्यों के लिए निगम को ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। पांच से नौ लाख रुपये तक के छोटे-छोटे काम न होने की वजह से लोगों को टूटी सड़कों और गंदे पानी के बीच से हर रोज गुजरना पड़ता है। परेशान लोग पार्षदों से लेकर नगर निगम के अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। पार्षदों का कहना है कि निगम की निधि से होने वाले कार्यों के भुगतान में देरी होती है, इसीलिए पार्षद रुचि नहीं दिखा रहे हैं। नगर निगम हर साल हाउस टैक्स व अन्य स्रोत से होने वाली आय से शहर में विकास कार्यों को करवाता है। पार्षदों की सिफारिश पर क्षेत्र की गली-मोहल्ले की हॉटमिक्स या सीसी सड़कों व नालियों के निर्माण व इंटरलॉकिंग जैसे कार्यों को निगम निधि से कराया जाता है। इस साल पार्षदों की सिफारिश पर निगम ने सितंबर-अक्तूबर महीने में निगम की निधि से करीब 20 करोड़ रुपये की लागत वाले 250 कार्यों के लिए टेंडर जारी किए। पहली बार में टेंडर प्रक्रिया में कोई ठेकेदार शामिल नहीं हुआ तो निगम ने दोबारा टेंडर निकाला। इसके बाद भी करीब 60 कार्यों के लिए ही आवेदन आए। इसमें भी सिंगल बिड व अन्य तकनीकी कारणों से ज्यादातर टेंडर आवंटित नहीं हो सके। इसके बाद टेंडर निकालने पर भी करीब सौ कार्याें के लिए आवेदन पहुंचे हैं। अभी भी आधे से अधिक कार्यों के लिए ठेकेदारों की तलाश है। विकास कार्यों के लिए यूं तो निगम में ठेकेदारों की कमी नहीं है। बड़े कार्यों के लिए कई बार आठ-दस ठेकेदार भी आवेदन करते हैं, लेकिन निगम की निधि से होने वाले इन कार्यों के भुगतान में देरी सबसे बड़ा रोड़ा है। ठेकेदारों का कहना है कि भुगतान में देरी होने और मुनाफा बेहद कम होने के कारण यह घाटे का साैदा साबित होता है। निर्माण विभाग नगर निगम के मुख्य अभियंता बीएल गुप्ता ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन है। इसमें कोई भी ठेकेदार आवेदन कर सकता है। निर्धारित मानक के अनुरूप टेंडर न होने पर दोबारा टेंडर निकाले जाते हैं। पारदर्शिता नहीं, टेंडर में हो रही देरी खंदारी के पार्षद सुनील शर्मा का कहना है कि समयसीमा में टेंडर नहीं खुल रहे है। टेंडर कमेटी की जिम्मेदारी है कि वह पारदर्शिता के साथ टेंडर आवंटन करे। टेंडर निकालने से लेकर आवंटन और फिर भुगतान तक में देरी की वजह से ठेकेदार काम के लिए आवेदन करने से भी हिचक रहे हैं। समय से नहीं मिलता पैसा राजनगर के पार्षद बंटी माहौर ने बताया कि कोई भी ठेकेदार मुनाफे से ज्यादा समय से भुगतान के लिए काम करता है। निधि से होने वाले कार्यों के भुगतान में देरी होती है। इस वजह से टेंडर के लिए ठेकेदार आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। काम न होने से लोगों को परेशानी हो रही है। महापौर और नगर आयुक्त को इसके लिए ठोस रणनीति बनानी चाहिए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 10, 2025, 09:31 IST
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