SC: अलगाववादी शब्बीर शाह की जमानत याचिका का विरोध, NIA ने 'इंडियन स्टेट एंड जम्मू-कश्मीर' कहने पर जताई आपत्ति
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार (31 अक्तूबर) को कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की आतंकवाद फंडिंग मामले में जमानत याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। एनआईए ने सुनवाई के दौरान इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि "भारत और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग इकाई" बताया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहताने जताई नाराजगी शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में “इंडियन स्टेट एंड जम्मू-कश्मीर” शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कोई भी “इंडियन स्टेट एंड जम्मू-कश्मीर” नहीं कह सकता, बल्कि सिर्फ इंडिया कहना जाना चाहिए।तुषार मेहता ने अलगाववादियों की ओर से आमतौर पर अपनाए जाने वाले रुख पर नाराजगी जताई। दिल्ली के हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से तुषार मेहता ने कहा, "भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष, कोई भी भारतीय राज्य और जम्मू-कश्मीर नहीं कह सकता। मैं इसे मुद्दा बना रहा हूं।" सुप्रीम कोर्ट शब्बीर शाह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में जमानत देने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 जून के आदेश को चुनौती दी थी। मेहता ने बताया कि एनआईए ने शुक्रवार को इस मामले में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि शब्बीर शाह का यह दावा कि वह 30 से ज्यादा साल से जेल में हैं, तथ्यात्मक रूप से गलत पाया गया है।" शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि वह 39 साल से जेल में हैं। कोर्ट ने शब्बीर शाह को 10 दिन में प्रत्युत्तर दाखिल करने का समय दिया और अगली सुनवाई 10 नवंबर को तय की। याचिका पर सुनवाई 10 नवंबर जब पीठ ने कहा कि वह इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को करेगी, तो गोंजाल्विस ने आग्रह किया कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए क्योंकि शाह "बहुत बीमार" हैं। जिस पर मेहता ने तंज कसते हुए कहा, "वह बीमार हैं, यही समस्या है।" इसके बाद पीठ ने याचिका पर सुनवाई 10 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी। पहले सुनवाई के दौरान (24 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से शाह के अन्य मामलों में हिरासत से जुड़ी जानकारी मांगी थी। अदालत ने कहा था कि शाह के खिलाफ लगभग 24 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इससे पहले 4 सितंबर को शीर्ष अदालत ने शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और एनआईए से दो हफ्तों में जवाब मांगा था।एनआईए ने 2017 में 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप था कि वे पत्थरबाजी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और केंद्र सरकार के खिलाफ साजिश के जरिए आतंक फैलाने के लिए फंड जुटा रहे थे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 31, 2025, 19:41 IST
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