निवेशकों का भरोसा: नए दिशा-निर्देश से बढ़ेगा तकनीकी नवाचार, AI और ब्लॉकचेन सहित कंप्यूटर पेटेंट होंगे और मजबूत

इसी वर्ष जुलाई में पेटेंट ऑफिस (सीजीपीडीटीएम), भारत सरकार ने कंप्यूटर संबंधी आविष्कारों (सीआरआई) की जांच के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस दस्तावेज का उद्देश्य सीआरआई से संबंधित पेटेंट आवेदनों की जांच में स्पष्टता, एकरूपता और पूर्वानुमेयता को बढ़ाने के साथ वैश्विक मानकों के अनुरूप परीक्षण को लागू करना है। इन दिशा-निर्देशों की अनुपालना से देश-विदेश के कंप्यूटिंग व सॉफ्टवेयर शोधकर्ता और कंपनियों में भारतीय इनोवेटिव इकोसिस्टम की विश्वसनीयता के साथ निवेश की संभावना भी बढ़ेगी। वर्तमान तकनीकी परिदृश्य जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और उसके सबसेट, ब्लॉकचेन तथा क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए पृथक विस्तृत पेटेंटेबिलिटी व नॉन-पेटेंटेबिलिटी मानदंड जारी किए हैं। दिशा-निर्देशों के तहत इन आविष्कारों को पेटेंट स्वीकृति के लिए इनमें प्रयुक्त न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर, डाटासेट, प्रशिक्षण विधियों और बेंचमार्किंग विवरणों सहित सख्त डिस्क्लोजर मानदंड को पूरा करना होगा। मैथमेटिकल मॉडल, बिजनेस मेथड्स, एल्गोरिदम और कंप्यूटर प्रोग्राम को प्राथमिक रूप से नॉन-पेटेंटबल विषय की श्रेणी में रखा गया है तथा स्पष्ट रूप से साकार तकनीकी प्रभाव (जैसे डाटा कंप्रेशन पद्धति) प्रदर्शित करने पर ही इन तकनीकों को पेटेंट मिलेगा। किसी आविष्कार में मैथमेटिकल टूल का उपयोग करके रियल टाइम ऑडियो डिवाइस में बैकग्राउंड नॉइज कम करने से बेहतर ऑडियो आउटपुट का मिलना पेटेंटबल है। रियल टाइम डाटा कैप्चर, मशीन लर्निंग एनालिसिस एंड ऑटोमेटेड अलर्टिंग तकनीक के एकीकृत सिस्टम से वित्तीय लेनदेन में इंस्टेंट फ्रॉड का पता लगाना भी पेटेंट के योग्य विषय वस्तु है। वहीं क्वांटम कंप्यूटिंग व ब्लॉकचेन के व्यावहारिक कार्यान्वयन, जो रियल वर्ल्ड प्रॉब्लम सॉल्वर हैं, पेटेंट के योग्य हो सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों जैसे सिक्योर आईटी आर्किटेक्चर, मेट्रोलॉजी, सेंसिंग डिवाइस के साथ-साथ ड्रग डेवलपमेंट और मटेरिल इंजीनियरिंग में वृहद प्रगति की संभावना को रेखांकित करती है। गौरतलब है कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) वर्ष 2024 में 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारत 39वें स्थान पर पहुंचा है, जो देश के इनोवेशन इंडेक्स की उत्कृष्ट प्रगति का सूचक है। संशोधित सीआरआई दिशा-निर्देश नीतिगत वातावरण को और मजबूत करेंगे तथा इंडेक्स में वृद्धि के लिए एक सकारात्मक कारक साबित हो सकते हैं। ज्ञात रहे 2017 के सीआरआई दिशा-निर्देशों में प्रतिबंधात्मक पहलू ज्यादा था और फोकस मुख्यतः हार्डवेयर लिंकेज पर था, जिससे सामान्यतया सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम-आधारित आविष्कार को स्वीकृति मिलना चुनौतीपूर्ण था। साथ ही सीमित व्याख्या या स्पष्टीकारण के कारण तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी क्षेत्रों में नवाचारों के लिए अनिश्चितता व असमंजस की स्थिति थी।दिशा-निर्देशों में नवीनता के लिए सात चरणीय और आविष्कारशीलता के लिए पांच चरणीय परीक्षण शामिल हैं। पेटेंट दावे को समझना, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी, दायरा, संदर्भ में प्रासंगिकता, बुनियादी कंप्यूटिंग से आगे (तकनीकी सुधार) इन चरणों का हिस्सा है। ये दिशा-निर्देश विशेष रूप से एआई कार्यान्वित और अन्य विघटनकारी प्रौद्योगिकी-आधारित आविष्कारों की पेटेंट योग्यता को निर्धारित करने में हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ है। आवेदक रियल-टाइम प्रॉब्लम को हल करने के लिए विशिष्ट इनेबलिंग डिटेल्स का विवरण प्रदान करें और अस्पष्ट व काल्पनिक भाषा का उपयोग न करे। वही उच्च डिस्क्लोजर की बाध्यता के कारण तकनीकी कंपनियां व्यापारिक हित प्रभावित होने के अंदेशे से अपनी मालिकाना जानकारी को साझा करने से हतोत्साहित हो सकती हैं और इस परिस्थिति में उसे पेटेंट से वंचित रहना पड़ सकता है। नए सीआरआई दिशा-निर्देश एक सकारात्मक और अनुकूल पहल हैं, जो एक आधुनिक और प्रभावी बौद्धिक संपदा व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व तत्परता को दर्शाते हैं। ये दस्तावेज जटिल व अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों पर आधारित आवेदनों को निस्तारित करने का सही रोडमैप नजर आते हैं। दिशा-निर्देश, सार्थक व उपयोगी डिजिटल नवाचार के संरक्षण और अमूर्त विचार मात्र के अस्वीकरण के बीच संतुलन स्थापित करती है। इन दिशा-निर्देशों के लागू होने से तकनीकी निवेशकों व अनुसंधानकर्ताओं में भारतीय पेटेंट सिस्टम के प्रति विश्वास अधिक गहरा होगा व भारतीय पेटेंट सिस्टम मुख्य वैश्विक व्यवस्था के अधिक नजदीक होगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 04:55 IST
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