नज़ीर बनारसी की ग़ज़ल: सुना है कि उन से मुलाक़ात होगी
सुना है कि उन से मुलाक़ात होगी अगर हो गई तो बड़ी बात होगी निगाहों से शरह-ए-हिकायात होगी ज़बाँ चुप रहेगी मगर बात होगी मिरे अश्क जिस शब के दामन में होंगे यक़ीनन वो तारों भरी रात होगी समझती है शाम ओ सहर जिस को दुनिया तिरे ज़ुल्फ़ ओ आरिज़ की ख़ैरात होगी न सावन ही बरसा न भादों ही बरसा बहुत शोर सुनते थे बरसात होगी मोहब्बत बहुत बे-मज़ा होगी जिस दिन ज़बाँ बे-नियाज़-ए-शिकायात होगी वहाँ क़ल्ब की रौशनी साथ देगी जहाँ दिन न होगा फ़क़त रात होगी 'नज़ीर' आओ रो लें गले मिल के हम तुम ख़ुदा जाने फिर कब मुलाक़ात होगी हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 14, 2025, 19:50 IST
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