Social Media Poetry: पत्रकारिता पर नवीन सी चतुर्वेदी की रचना

शारद के पूत और नारद की वंशबेल, संगम के अंग, गंग-जमुना के धारे हैं। सागर के मंथन की भांति मथ मानस कों, इष्ट नें समष्टि हेतु खुद ही सकारे हैं। हम ही प्रभाव और हम ही प्रभावित हैं, हमनें अनेक चक्रवात हू गुजारे हैं। निर्झर के धारे, नद-नदी के किनारे, प्यारे, सब के दुलारे हम अखबार वारे हैं।। बिना मारकाट और बिना रक्तपात किएँ, हमनें न जानें केते युद्ध जीत डारे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 09, 2023, 17:50 IST
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