Indore News: नर्मदा जयंती विशेषः पर्वतों को लांघ कर 45 वर्षों से रोज इंदौर की प्यास बुझाने आती है नर्मदा

नर्मदा जयंती पर शनिवार को हजारों लोग नदी के तट पर पूजा अर्चना और स्नान करने ओंकारेश्वर, महेश्वर पहुंचे, लेकिन इंदौरवासी खुशकिस्मत है,क्योकि नर्मदा 45 वर्षों से रोज उनकी प्यास बुझाने आती है। विद्यापर्वत माला के पहाड़ों को लांघ कर 65 किलोमीटर का सफर तय कर रोज इंदौर मां नर्मदा का अचमन करता है। जिस दिन यह क्रम टूटता है,उस दिन शहरवासी हैरान-परेशान हो जाते है। आईए जानते है नर्मदा और इंदौर से जुड़ी कुछ रोचक बातें रोज 40 टंकियां भरती है नर्मदा मैय्या शहर में नर्मदा के तीनों चरणों से 500 एमएलडी से ज्यादा पानी इंदौर आता है। इतना पानी 30 लाख की आबादी के लिए पर्याप्त है। नर्मदा के जल से शहर की 40 टंकियां रोज भरी जाती है। इसके अलावा यशंवत सागर तालाब से छह टंकियां भरी जाती है। 1978 में नर्मदा का पहला चरण आया था। इसके बाद दो अन्य चरणों से नर्मदा का पानी इंदौर पहुंचाया गया। पूर्व जलकार्य समिति प्रभारी मधु वर्मा बताती है कि कैलाश विजयवर्गीय जब महापौर थे,तब इस योजना को मंजूरी थी और एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लिया गया। करीब एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर तीसरे चरण से 360 एमएलडी पानी इंदौर पहुंचा। नर्मदा लाने के लिए चला था आंदोलन 70 के दशक में इंदौर में सूखा पड़ा था। इसके बाद नर्मदा का पहला चरण लाने की मांग शहर से उठी थी, लेकिन तब यह काम कठिन माना जा रहा था। सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन शहरवासियों ने नर्मदा के पहले चरण के लिए आंदोलन किया। मुकुंद कुलकर्णी, अभय छजलानी, चंद्रप्रभाष शेखर, राकेश शर्मा, उपेंद्र शुक्ला, सुभाष कर्णिक, सुभाष कर्णिक,शशिकांत शुक्ला, नरेंद्र कश्यप, नूर मोहम्मद सहित कई शहरवासियों ने आंदोलन की रुपरेखा तैयार की। एक माह तक आंदोलन चला। इंदौर बंद का आह्वान किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता शिवाजी मोहिते बताते है कि तब एक पहलवान ने मालवा मिल पर एक माह तक एक पैर पर खड़ा था। आंदोलन के बाद तत्कालीन सरकार झुकी और नर्मदा के पहले चरण की योजना को मंजूरी दी। 1978 में नर्मदा के पहले चरण का पानी इंदौर पहुंचा था। तब समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी शामिल हुए थे। शिप्रा को भी शुुुद्धकर रही नर्मदा शहरवासियों की प्यास बुझाने के अलावा नर्मदा नदी ने इंदौर जिले के उज्जैनी से बहने वाली शिप्रा नदी के उद्गम स्थल को पुर्नजीवित किया। 300 एमएलडी पानी बड़वाह के सिसलिया तालाब से लिफ्ट तक उज्जैनी तक लाया गया। इस प्रोजेक्ट पर 350 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 28, 2023, 16:48 IST
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