Sirsa News: पति की दिव्यांगता के बाद भी नहीं खोया हौसला, मजदूरी कर 2 बेटों को फौज में भर्ती करवा बनी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत

ओढां। अगर हौसले बुलंद व आत्मविश्वास मजबूत हो तो विकट परिस्थितियां भी घुटने टेकने को विवश हो जाती हैं। इसका एक उदाहरण गांव नुहियांवाली में देखा जा सकता है। जहां करीब 45 वर्षीय एक महिला ने विकट परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया कि वह लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है। गांव फेफाना निवासी राजबाला की शादी गांव नुहियांवाली निवासी मदन लाल से हुई थी। मदन लाल पेशे से फर्नीचर का एक अच्छा कारीगर था। उसके 2 लड़के हैं। घर का पूरा खर्च मदन लाल के कंधों पर ही था। करीब 17 वर्ष पूर्व मदन लाल सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था। मदन लाल का स्वास्थ्य इस कद्र बिगड़ा कि काफी उपचार के बाद भी उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और वह हाथों-पैरों से दिव्यांग हो गया। जिसके बाद मदन लाल के परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित होकर रह गई। घर व पति को संभालना राजबाला के लिए चुनौती बन गया। विकट परिस्थितियां में भी नहीं खोया हौसला राजबाला ने बताया कि पति की दिव्यांगता व घर का खर्च उठाना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया, लेकिन उसने इन परिस्थितियों में भी हौसला न खोते हुए अपने परिवार को संभाला। राजबाला ने अपने दोनों बेटों को पढ़ाया-लिखाया ही नहीं अपितु उनमें संस्कार भी दिए। मां की प्रेरणा ने दोनों बेटों में जोश भरने का काम किया। जिसकेे बाद उन्होंने अपनी मां के साथ मेहनत-मजदूरी करते हुए अपनी पढ़ाई भी निरंतर जारी रखी। कभी दूध बेचा तो कभी की खेतों में मजदूरी राजबाला ने बताया कि उसने हार न मानते हुए पशुओं का दूध बेचकर व लोगों के खेतों में मजदूरी कर पाई-पाई जोड़ी और बेटों की पढ़ाई-लिखाई व घर का खर्च चलाया। उसकेे दोनों बेटों प्रवीण व सोनू की इच्छा थी कि वे आर्मी में जाएं। अपने बेटों के इस सपने को पूरा करने के लिए राजबाला ने जान लगा दी। पत्र आते ही छलक उठी आंखें राजबाला ने बताया कि उसे विश्वास था उसका ये आर्थिक बनवास एक दिन जरूर खत्म होगा। आखिर भगवान ने उसकी सुन ही ली और उसके दोनों बेटों का एक ही दिन फौज में सिलेक्शन हो गया। इंडियन आर्मी की तरफ से जैसे ही दोनों बेटों के सिलेक्शन का पत्र आया तो राजबाला की आंखें छलक उठीं। जब ये सूचना गांव में फैली तो हर कोई राजबाला की मेहनत व हौसले की प्रशंसा करता नजर आया। राजबाला के दोनों बेटे इस समय आर्मी में हैं। राजबाला ने बताया कि सुख-दुख, तकलीफें व बुरा वक्त इंसान की परीक्षा लेने आता है। ऐसे मेेें हमें हौसला नहीं खोना चाहिए। अगर एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा रास्ता भी खुल जाता है। राजबाला अपनी हिम्मत, हौसले व कठिन परिश्रम के चलते लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है।वर्जनपूरे गांव को खुशी है कि राजबाला के दोनों बेटे फौज में भर्ती हुए। इस महिला ने कड़ा परिश्रम कर अपने परिवार को ही नहीं संभाला अपितु अपने दोनों बेटों को कामयाब भी किया। राजबाला उन लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत साबित हो रही है जो कई बार विकट परिस्थितियों में हौसला छोड़ देते हैं। पूरे गांव को राजबाला पर नाज है। - सुनीता देवी, सरपंच (नुहियांवाली)

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 28, 2023, 00:35 IST
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