MP Forest Department: वाइल्ड लाइफ बोर्ड की सदस्य को दे दिया नेचर गाइड की ट्रेनिंग का काम, पहुंचाया आर्थिक लाभ

मध्य प्रदेश स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड सदस्य विद्या वेंकटेश को नियमों को ताक पर रखकर ट्रेनिंग समेत अन्य काम देने का मामला सामने आया है। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वन मंत्रालय तक को शिकायत की गई है। हालांकि, स्टेट वाइल्ड लाइफ वार्डन और विद्या वेंकटेश का कहना है कि उन्हें यह काम वन विभाग से नहीं मिला, बल्कि सीएसआर के तहत मिला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता वाले स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में विद्या वेंकटेश 2020 से सदस्य है। नियम कहते हैं कि बोर्ड के सदस्य आर्थिक लाभ के लिए वन विभाग के साथ मिलकर कोई काम नहीं कर सकते। यह नियम भारत सरकार के नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड में भी लागू है। इसके बाद भी विद्या का एनजीओ द लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन प्रदेश के टाइगर रिजर्व और कूनो नेशनल पार्क के आसपास रहने वाले आदिवासियों को इको टूरिज्म से जोड़ने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें कूनो नेशनल पार्क में संचालित हो रहा प्रोजेक्ट चीता भी शामिल है। वन विभाग के ही सूत्रों का दावा है कि नियम इसकी इजाजत नहीं देते। इसके बावजूद कुछ अधिकारियों की पसंद होने की वजह से यह काम विद्या के एनजीओ को दिया गया है। इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट और वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वन मंत्रालय तक को शिकायत की है। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर वन मंडल में विद्या के एनजीओ को चार लाख रुपये का भुगतान किया गया। आदिवासी समुदाय के साथ भी ट्रेनिंग के नाम पर छल हुआ है। इस मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए। साथ ही यदि एनजीओ काम कर रहा है तो विद्या को बोर्ड से हटाया जाना चाहिए। चीता टास्क फोर्स का सदस्य बनाने की सिफारिश शिकायत में कहा गया है कि विद्या वेंकटेशन को चीता टास्क फोर्स का सदस्य बनाने की पैरवी मध्यप्रदेश के वाइल्ड लाइफ वार्डन या प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जेएस चौहान ने केंद्र सरकार से की है। शिकायत में इस अनुशंसा पर भी सवाल उठाए गए हैं। चीता टास्क फोर्स ही प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों के संबंध में सभी तरह के फैसले लेता है, जैसे- कब उन्हें बड़े बाड़े में छोड़ना है, कब उन्हें जंगल में छोड़ना है, आदि। अधिकारी का दावा- कुछ भी गलत नहीं किया प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जेएस चौहान ने इस मामले में कहा कि हमने बोर्ड में सदस्य विद्या वेंकटेशन के एनजीओ को कोई भुगतान नहीं किया है। उन्हें उनकी योग्यता को देखकर बोर्ड में रखा गया है। कूनो में वह सीएसआर फंड लेकर ट्रेनिंग देने का काम कर रही हैं। विद्या वेंकटेश बोली- मैं कुछ नहीं कहना चाहती वहीं, लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन की डायरेक्टर विद्या वेंकटेश का कहना है कि उनका एनजीओ नियमों का पालन कर रहा है। इसके अलावा अभी कुछ नहीं कहना चाहते।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 21, 2023, 22:52 IST
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