मां पूर्णागिरि धाम: चढ़ाई से भारी है बंदरों से सुरक्षा

पूर्णागिरि धाम (चंपावत)। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से पूर्णागिरि धाम पहुंचे मोहित रंजन, मुकेश पाल, मुरलीधर, मनोहर सिंघल, युगल किशोर, गुंजन देवी मां के दर्शन करने के बाद गदगद थे। उन्हें इत्मीनान से देवी मां और नाभि के दर्शन हुए। लेकिन तभी मुख्य मंदिर से सीढ़ियों से उतरते हुए इन श्रद्धालुओं का प्रसाद साफ। बंदरों के झुंड ने झपट्टा मार हाथ से प्रसाद का थैला छीना और चंपत। हाथ में डंडा है और बंदरों को आप हांक सके तो ठीक, अन्यथा इसी तरह हाथ का सामान गया हाथ से। भैरव मंदिर से मुख्य मंदिर तक के चार किमी. के हिस्से में बंदर श्रद्धालुओं, दुकानदार और यहां से आवाजाही करने वाले लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। ये बंदर मंदिर, दुकान की छतों से लेकर कदम-कदम पर दस्तक दे रहे हैं। दुकानों से खाने-पीने से लेकर पूजन सामग्री तक को आंख बचते ही साफ करना हर रोज की बात है। धाम के व्यापारी प्रकाश तिवारी हाथ में डंडा लेकर दुकानदारी के साथ पहरेदारी कर रहे हैं। ऐसा आलम कई अन्य दुकानदारों का भी है। वहीं धाम क्षेत्र की दस से अधिक दुकानों में जाली लगाकर बंदरों से सामान का बचाव किया गया है। संवाद बंदरों की भरमार लेकिन पुनर्वास केंद्र भी नहीं चंपावत। एक दशक में जिले के आबादी वाले क्षेत्रों से लेकर शहरों तक में बंदरों की बढ़ती संख्या ने मुसीबत बढ़ाई है। चंपावत जिले में वन विभाग की एक गिनती के मुताबिक 6317 बंदर हैं। बंदरों ने फसल ही नहीं, घर के भीतर भी नाक में दम कर रखा है। पिछले छह साल में ही बंदरों के हमले में चंपावत जिले में दो बच्चों सहित छह लोगों की जान जा चुकी है। डिग्री कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी ओली का कहना है कि काफल, बुरांश समेत जंगली खाद्य फल मिलने में दिक्कत की वजह से बंदरों का रुख गांव और शहरी इलाकों की ओर हुआ है। मंदिर क्षेत्र में चार किमी हिस्से में बंदर ही बंदर हैं। मंदिर समिति के स्वयंसेवक मुख्य मंदिर के आसपास श्रद्धालुओं और अन्य लोगों को बंदरों से सचेत करते हैं। -पंडित संजय तिवारी, पूर्णागिरि।बंदरों के उत्पात से यहां हर कोई परेशान है। कुछ समय पहले वन विभाग ने चार पिंजरे लगाए थे। फिर से ऐसे पिंजरे जगह-जगह लगाए जाने चाहिए। -पंडित गिरीश पांडेय, पूर्णागिरि। पिंजरा लगाकर बंदरों को काबू करने का प्रयोग सफल नहीं रहा। बंदरों से राहत दिलाने के लिए प्रशासन से आपदा राहत मद में बजट की मांग की गई है। बजट मिलने पर मथुरा या किसी अन्य जगह से मंकी कैचर बुलवाकर समस्या का समाधान करा जाएगा। आरसी कांडपाल, डीएफओ, चंपावत।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 30, 2022, 23:45 IST
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