Hazratbal Controversy: राष्ट्रीय प्रतीक तोड़ने के मामले में 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ, देशभर में उबाल

हजरतबल दरगाह के शिलापट्ट पर अंकित राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ने के मामले को लेकर देशभर में गुस्सा और सियासी उबाल है। मामले में अब तक पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। अलबत्ता 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। फुटेज में जिन लोगों के चेहरे सामने आए हैं उनकी पहचान की जा रही है। जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को हुई वारदात के संबंध में निगीन थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। शांति भंग करने, दंगा और आपराधिक साजिश रचने समेत अन्य धाराएं लगाई गई हैं। अफसरों का कहना है कि अज्ञात लोगों ने शिलापट्ट पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ को नुकसान पहुंचाया। सीसीटीवी फुटेज में कुछ लोगों के चेहरे सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार सीसीटीवी फुटेज में सामने आए चेहरों की पहचान करने की पुलिस की कोशिशें जारी हैं। इसके साथ ही वारदात के समय मौके पर मौजूद लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। शनिवार और रविवार को मिलाकर 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है। इन लोगों से भी सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहे आरोपियों के बारे में जानने के प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने अभी किसी की गिरफ्तारी या किसी को हिरासत में लिए जाने से इन्कार किया है। उन्होंने बताया कि जांच जारी है। सबसे पहले फुटेज में दिखाई दे रहे आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। इन्हीं आरोपियों से वारदात में शामिल अन्य लोगों की भी जानकारी मिल सकेगी। देशभर में चर्चा का विषय बने इस मामले में गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पर भी दबाव है। 90 के दशक का नारा लगा-यहां क्या चलेगानिजाम-ए-मुस्तफा, वीडियो वायरल होते ही सियासी घमासान हुआ शुरूशुक्रवार को सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हुआ। जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी की ओर से 3 सितंबर को लगाए गए शिलापट्ट पर अंकित अशोक स्तंभ को वीडियो में कुछ लोग बड़े पत्थर से तोड़ते नजर आ रहे हैं। इस दौरान भीड़ अल्लाह हू अकबर और 90 के दशक में घाटी में लगने वाला नारा-यहां क्या चलेगानिजाम-ए-मुस्तफा जैसे नारे लगाते नजर आती है। वीडियो वायरल होने के बाद अंद्राबी ने इस पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि पांच-छह साल से शांत रहे राष्ट्रविरोधी फिर से सिर उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक और उनके समर्थक शामिल हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक लगाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिर-मस्जिद या गुरुद्वारों में इस तरह के प्रतीक नहीं लगाए जाते। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इससे एक कदम और आगे जाते हुए कहा कि दरगाह में राष्ट्रीय चिह्न लगाना ईशनिंदा का कृत्य है। रिजिजू बोले-दरगाह शांति का प्रतीक, मैं पवित्र प्रतीक के तोड़फोड़ की निंदा करता हूं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न की तोड़फोड़ की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि हजरतबल दरगाह शांति का प्रतीक है। पैगंबर मुहम्मद के अवशेषों से इस दरगाह का गहरा जुड़ाव वास्तव में विश्वास और एकता के प्रतीक के रूप में इसकी छवि को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि मैं हजरतबल दरगाह के शिलापट्ट पर उकेरे गए पवित्र अशोक चिह्न की तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करता हूं। दरगाह में पट्टिका लगाने की जरूरत क्या थी : डाॅ. फारूक नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि अगर मौजूदा जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने पैगंबर मुहम्मद को समर्पित दरगाह पर अशोक चिह्न वाली पट्टिका नहीं लगाई होती तो हजरतबल दरगाह पर विवाद टाला जा सकता था। अब्दुल्ला ने अनंतनाग में एक शोक सभा में भाग लेने के बाद पत्रकारों से कहा, पट्टिका लगाने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने इसे लगाया और लोगों को यह पसंद नहीं आया। पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे एक ऐसी गलती बताया जो नहीं होनी चाहिए थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हजरतबल और अन्य दरगाहों का निर्माण लोगों के योगदान से हुआ था, किसी की अनुग्रह राशि से नहीं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 01:20 IST
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