मेराज फ़ैज़ाबादी: ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना

ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख़्शें हैं तो तौफ़ीक़-ए-सफ़र भी देना गुफ़्तुगू तू ने सिखाई है कि मैं गूँगा था अब मैं बोलूँगा तो बातों में असर भी देना मैं तो इस ख़ाना-बदोशी में भी ख़ुश हूँ लेकिन अगली नस्लें तो न भटकें उन्हें घर भी देना ज़ुल्म और सब्र का ये खेल मुकम्मल हो जाए उस को ख़ंजर जो दिया है मुझे सर भी देना हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 12:22 IST
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