मालेगांव केस: प्रज्ञा ठाकुर के बरी होने पर भावुक हुईं उमा भारती, नासिक जेल की याद में छलक पड़े आंसू
मालेगांव विस्फोट मामले में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को विशेष एनआईए अदालत द्वारा दोषमुक्त किए जाने के बाद मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भावुक हो गईं। प्रज्ञा ठाकुर को याद करते हुए उमा भारती की आंखें भर आईं और उन्होंने नासिक जेल में साध्वी के साथ हुए व्यवहार का दर्द साझा किया। ठाकुर के बरी होने की खुशी में उमा भारती के बंगले पर मिठाईयां बांटी गई और जमकर आतिशबाजी की गई। ये भी पढ़ें-MP News:सीएम डॉ. यादव ने पीएम मोदी से की मुलाकात, 18 माह के काम का लेखा जोखा प्रस्तुत कर मांगा मार्गदर्शन मीडिया से बातचीत के दौरान उमा भारती ने कहा कि मैं इतनी खुश हूं कि शब्द नहीं हैं। जब प्रज्ञा ठाकुर नासिक जेल में थीं, तब मैं उनसे मिलने गई थी। उस समय कोई और उनसे मिलने नहीं जाता था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि प्रज्ञा को प्रताड़ित किया जा रहा है। जब मैं उनसे मिली तो मैं खुद को रोक नहीं पाई और रोने लगी। तब प्रज्ञा ने मुझे शांत किया और कहा हां दीदी, मुझे सच में बहुत प्रताड़ित किया जा रहा है। उमा भारती ने कहा कि इस फैसले से उन्हें बेहद संतोष हुआ है और आज उन्हें लग रहा है कि सच्चाई की जीत हुई है। भावनाओं में बहते हुए उन्होंने कहा कि "मैं उसके लिए जेल में कुछ ले नहीं गई थी, बस अपने आंसू लेकर गई थी। प्रज्ञा ने ही मुझे चुप कराया। ये भी पढ़ें-भोपाल ड्रग और यौन शोषण केस:भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष शहरयार अहमद ने दिया इस्तीफा कांग्रेस पर साधा तीखा हमला उमा भारती ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि "भगवा आतंकवाद की परिभाषा गढ़ी गई और इसके पीछे कांग्रेस नेताओं की सोच थी। उन्होंने कहा कि इसके जनक दिग्विजय सिंह थे, जो राहुल गांधी के इशारे पर काम कर रहे थे। पूर्व सीएम ने कहा कि इस्लामिक आतंकवाद की तुलना में हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए भगवा आतंकवाद जैसा शब्द गढ़ा गया। आज उन नेताओं को चौराहों पर खड़ा करके जवाब मांगा जाना चाहिए। ये भी पढ़ें-MP News: मध्य प्रदेश के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का तबादला, वरुण कपूर बने जेल डीजी क्या है मालेगांव ब्लास्ट मामला मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर 2008 को हुआ था। महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए इस धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह घटना रमजान के महीने में घटी थी, जिससे माहौल और संवेदनशील हो गया था। इस मामले की जांच एनआईए ने की थी और इसमें 323 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। लंबे समय तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद अदालत ने सभी सात आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jul 31, 2025, 21:19 IST
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