Khandwa News: गीतकार प्रसून जोशी पहुंचे किशोर दा की समाधि, दूध जलेबी का भोग लगाया, सम्मान मिलने पर कही ये बात
मध्य प्रदेश के खंडवा में मंगलवार देर शाम राष्ट्रीय किशोर अलंकरण समारोह आयोजित किया जा रहा है, जिसमें साल 2024 का किशोर अलंकरण सम्मान बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी को दिया जाना है। वहीं इस समारोह में शामिल होने बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी खंडवा स्थित किशोर स्मारक पहुंचे थे। जहां पहले तो उन्होंने किशोर दा को नमन करते हुए उनकी समाधि पर माथा टेका। इसके बाद किशोर कुमार को दूध जलेबी का भोग लगाया। यही नहीं, इसके बाद जब मीडिया ने उनसे पूछा कि आप किशोर दा की समाधि पर आए हैं तो यहां आकर कैसा महसूस कर रहे हैं। इस पर उन्होंने बताया कि आज उन्हें किशोर दा की स्मृति में एक सम्मान मिल रहा है, और इसके जरिए अगर किसी भी तरह से उन्हें किशोर दा से जुड़ने का सौभाग्य मिल रहा है, तो यह किसी भी कलाकार के लिए एक बहुत बड़े सम्मान की बात है,क्योंकि किशोर दा किसी कल - कल छल - छल और निश्छल बहते हुए झरने की तरह थे। उनका जो जोश था, वह सब कुछ सामने ही था। एक तरफ तो वे सब को हंसाते थे, और फिर ऐसी दुनिया में ले जाते थे, जहां आप सब अपने गम भूल जाते हो। फिर वही किशोर दा दूसरी तरफ ऐसी गहराई में आपको ले जाते थे, जो अपनी पीड़ा और दर्द से आपको जोड़ देते थे, तो ऐसे ही किशोर दा थे। ये भी पढ़ें-थाने के मालखाने में रखे 55 लाख नकद-10 लाख के गहने पुलिसवाला ही जुए में हारा, ऐसे सामने आई करतूत उन्होंने बताया कि किशोर दा से जुड़ी एक बात वे कहना चाहते हैं कि जहां आम लोग बड़ी तपस्या करते हैं कि किसी तरह से उनके अंदर उनका बचपन जीवित रहे। क्योंकि इसके लिए बड़े-बड़े साधु संत भी यही कहते हैं कि आपके अंदर का बच्चा या जिसे बाल सुलभ कहते हैं वह जीवित रहे। लेकिन किशोर दा के पूरे जीवन में वह बाल सुलभता जीवंत रही। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही किशोर दा हमेशा ही बांटने में यकीन रखते थे, जो उन्हें मिला था। वे उसे सबके साथ बांटते रहते थे, जो हंसी और खुशी उन्हें मिलती थी उसे भी वे सब में फैला देते थे। यही बात दर्द में भी थी कि जो दर्द उन्हें मिलता था, वह उसे भी सबके साथ बांट देते थे। तो इसलिए मुझे लगता है कि उनका एक प्रसाद मुझे भी शायद थोड़ा सा मिल गया है, जो कि किसी भी कलाकार के लिए सम्मान वाली बात है। इसीलिए वे चाहते हैं कि अगर किशोर दा होते, तो उन्हें गीत गाते हुए समझाते। आज भी वे कई गीत यह सोचकर लिखते हैं कि काश किशोर दा होते तो वह इसे किस तरह से गाते, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग शब्दों के साथ न्याय नहीं करते। किशोर दा एक-एक शब्द को इस तरह से उच्चारित करते थे कि, जैसे उन्होंने वह स्वयं लिखा हो। यह किसी भी गायक के लिए बहुत बड़ी बात है, और किशोर दा एक सूर्य की तरह थे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 14, 2025, 19:56 IST
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