Justice Surya Kant: 'सीखना बंद मत करो', छात्रों से जस्टिस सूर्यकांत बोले- बुद्धि का ठहराव ही सबसे बड़ा खतरा है
लखनऊ में रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पद के नामित न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कानून के छात्रों से आग्रह किया कि वे हमेशा जिज्ञासु बने रहें, सीखना कभी न छोड़ें और बौद्धिक निश्चितता पर सवाल उठाना न भूलें। उन्होंने कहा कि यही वे गुण हैं जो किसी वकील को केवल जीवित रहने वाले से अलग, आगे बढ़ने वाला बनाते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अपने संबोधन में कहा कि कानूनी पेशे में सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप शुरुआत में कितना जानते हैं, बल्कि इस पर कि आप सीखने और जिज्ञासु बने रहने के कितने इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि स्नातक भले ही जल्द उनका भाषण भूल जाएं, लेकिन इसका सार याद रखें कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए। राम मनोहर लोहिया के विचारों का किया उल्लेख उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम राम मनोहर लोहिया जैसे व्यक्ति के नाम पर है, जिन्होंने बौद्धिक निश्चितता को सबसे खतरनाक आराम बताया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि लोहिया की विरासत हमें सिखाती है कि विकास के लिए साहस चाहिए। यह पूछने का साहस कि क्या चीजे वैसी होनी चाहिए जैसी हैं, या उन्हें बदलना चाहिए। ये भी पढ़ें-पीएम मोदी बोले- RJD ने कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रख CM पद का एलान कराया; सिख दंगे पर भी बोले उन्होंने छात्रों और उनके परिवारों को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने देश की सबसे चुनौतीपूर्ण शैक्षणिक प्रक्रिया पूरी की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बताया कि यह इस वर्ष का उनका छठा दीक्षांत समारोह है जिसे वे संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रारंभिक वकालती दिनों का एक अनुभव साझा करते हुए कहा कि आत्मविश्वास के चलते उन्होंने एक साधारण संपत्ति विवाद का मुकदमा हार दिया था क्योंकि उन्होंने अपने तर्कों की दोबारा समीक्षा नहीं की। इस असफलता ने उन्हें हर बार शून्य से शुरू करने और हर मामले को गंभीरता से परखने की आदत सिखाई। पेशेवर जीवन को लेकर सलाह न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कानून का पेशा छात्रों के लिए एक ऐसा घर होगा जिसे वे खुद रूपांतरित करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआती वर्षों में कई संदेह और चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन इन्हीं सवालों में एक सफल वकील की नींव होती है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे प्रणाली को जैसा है वैसा स्वीकार न करें, बल्कि इसे वैसा बनाएं जैसा यह होना चाहिए। ये भी पढ़ें-पीएम कल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार सम्मेलन का करेंगे उद्घाटन, शुरू होगा एक लाख करोड़ का RDI फंड इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का भी संबोधन कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने भी छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे शब्द प्रेरित करते हैं, पर इन शब्दों के बीच की खामोशी में भी इनकी असली शक्ति छिपी है। उन्होंने कहा कि अब छात्रों के पास कोई शिक्षक या मार्गदर्शक नहीं होगा, बल्कि अब उनके फैसले, उनके क्लाइंट और उनकी अंतरात्मा ही उनके मार्गदर्शक होंगे। सबसे अहम चीज है तैयारी करना- मुख्य न्यायाधीश भंसाली मुख्य न्यायाधीश भंसाली ने कहा कि वकीलों के लिए सबसे अहम तैयारी है। उन्होंने कहा कि अदालत में सबसे ऊंची आवाज़ नहीं, बल्कि सबसे तैयार दिमाग का सम्मान होता है। उन्होंने छात्रों को याद दिलाया कि प्रभावशाली भाषण एक दिन तक चमक सकता है, लेकिन तैयारी एक लंबा करियर बनाती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 02, 2025, 14:59 IST
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