जस्टिस माथुर बोले : पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में न्यायपालिका पर की गई टिप्पणी निंदनीय

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन में न्यायपालिका पर टिप्पणी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने अपना तर्क प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा है कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है, संविधान की मंशा ही नहीं बल्कि सांविधानिक प्रावधान के भी विरुद्ध है। बेहतर होगा कि न्यायपालिका की संविधान प्रदत्त शक्तियों और स्वायत्तता पर चोट करने की जगह विधायिका अपनी शक्तियों का प्रयोग संविधान सम्मत कानून बनाने के लिए करें। उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक स्वर से संसदीय कार्य में न्याय पालिका के हस्तक्षेप पर टिप्पणी करते हुए अपेक्षा की थी कि न्यायपालिका संवैधानिक मर्यादा में रहते हुए कार्य करे। इस पर मीडिया को दिए बयान में न्यायमूर्ति गोविंद माथुर का कहना है कि ऐसा लगता है कि विधायिका अपने भीतर के सभी अंतरविरोधों और मतभेदों को एक ओर कर पहले न्यायपालिका को विशेष रूप से नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया को नियंत्रित करने का प्रयत्न कर रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 12, 2023, 18:14 IST
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