Jhansi: चेहरा पहचान प्रणाली से लैस होगा स्टेशन, अपराधी के घुसते ही नया तंत्र पहचान कर करेगा अलर्ट

वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था अब अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगी। स्टेशन परिसर के सभी प्रवेश द्वार समेत चिन्हित जगहों पर 154 हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम भी शुरू हो गया है। ये कैमरे चेहरा पहचान प्रणाली (एफआरएस) से जुड़े रहेंगे। अधिकारियों का दावा है कि माॅडल के रूप में विकसित हो रही यह सुरक्षा व्यवस्था अगले साल फरवरी से काम करने लगेगी। नया तंत्र अपराधियों की पहचान कर सुरक्षा एजेंसी को तुरंत अलर्ट जारी करेगा। ऐसे में अब अपराधियों का स्टेशन से बच निकलना मुश्किल होगा। राजकीय रेलवे पुलिस व रेल सुरक्षा बल वांछित अपराधियों की पहचान, लापता व्यक्तियों की खोज, संदिग्धों की निगरानी और टिकट या प्रवेश नियंत्रण के लिए स्टेशन परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगवा रहा है। आरपीएफ स्टेशन पोस्ट प्रभारी के साथ सिग्नल एवं टेलीकॉम विभाग के सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने कुछ दिन पहले रेलवे स्टेशन का सर्वे कर एफआरएस कैमरे लगाए जाने वाले स्थलों को चिन्हित किया था। उस दाैरान स्टेशन के उन प्रवेश द्वारों को चिन्हित किया गया, जहां से यात्रियों का प्लेटफार्म पर आना-जाना रहता है। मुख्य गेट के अलावा पार्सल गेट, पश्चिम ओवरब्रिज, पुराने आरक्षण कार्यालय सहित अन्य स्थलों पर भी हाईटेक कैमरे लगाने का काम चल रहा है। झांसी मंडल मध्य प्रदेश व राजस्थान की सीमाओं से लगा हुआ है। ऐसे में अपराधियों के लिए केंद्र बिंदु बना झांसी स्टेशन अब उन्हें सलाखाें तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा। मजबूत होगी सुरक्षा, अपराधियाें पर कसेगा शिकंजा आरपीएफ स्टेशन पोस्ट प्रभारी बिरजेंद्र सिंह कहते हैं कि चेहरा पहचान प्रणाली से जुड़े कैमरों के लगने के बाद स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। इससे न केवल फरार अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकेगा, बल्कि आसानी से उन्हें पकड़ा जा सकेगा। झांसी मंडल पीआरओ मनोक कुमार ने बताया कि पूर्व में रेलवे स्टेशन पर 93 कैमरे लगाए गए थे, लेकिन वे उतने कारगर नहीं थे। अब हाई रिजॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इन्हीं कैमरों को एफआरएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसका कंट्रोल रूम आरपीएफ में होगा। दिल्ली के बाद झांसी स्टेशन पर ऐसे कैमरे स्थापित किए जा रहे हैं। ऐसे करेगा काम एफआरएस सबसे पहले यह सिस्टम कैमरे से ली गई तस्वीर या वीडियो में चेहरों की पहचान करता है। फिर चेहरे की खास पहचान वाली बातों को संख्यात्मक रूप में बदल देता है। इसे फेसप्रिंट कहा जाता है। इस सिस्टम से आंखों के बीच की दूरी, नाक की लंबाई, होंठों का आकार, ठोड़ी की बनावट और चेहरे की हड्डियों के ढांचे का विश्लेषण किया जाता है। उसके बाद यह फेसप्रिंट डेटाबेस में शामिल किए गए अपराधियों के चेहरों से मिलान करता है। यदि चेहरा मेल खाता है तो सिस्टम तत्काल वांछित व्यक्ति की पहचान कर लेता है। उसके बाद सॉफ्टवेयर तत्काल कंट्रोल रूम को अलर्ट भेजता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 30, 2025, 10:23 IST
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