Jhansi: टीकाकरण पर सवाल...11 महीने में खसरे की चपेट में 41 बच्चे, डब्ल्यूएचओ की टीमों ने शुरू की निगरानी

खसरे का बढ़ता संक्रमण एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है। इस साल अब तक जिले के 41 बच्चे खसरे की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से चार खसरे से ग्रसित बच्चे तो पिछले एक सप्ताह के अंदर सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ की टीमों ने मऊरानीपुर और बंगरा में प्रभावित बच्चों की निगरानी शुरू कर दी है। इधर, डीएम मृदुल चौधरी ने शुक्रवार को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में टीकाकरण की निगरानी व्यवस्था में लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताते हुए मऊरानीपुर एवं बामौर की असंतोषजनक स्थिति पर अधिकारियों को फटकार लगाई और बीसीजी के शत-प्रतिशत टीकाकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने अफसरों से कहा कि यदि निजी अस्पताल भी बच्चों को बीसीजी के टीके नहीं लगाते हैं तो ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त करें। डब्ल्यूएचओ की सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डॉ. जूही ने बताया कि जनवरी से अब तक खसरा के 41 रोगी मिले हैं। मेडिकल कॉलेज के रिकार्ड के अनुसार दो माह में खसरा संक्रमित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। टीमें ट्रैकिंग व टीकाकरण अभियान चला रही हैं। मऊरानीपुर व बंगरा ब्लॉक में टीमें लगी हैं। यह स्थिति तब है जब डब्ल्यूएचओ की ओर से खसरा से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। सूत्र के अनुसार मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में दो माह के भीतर खसरा से ग्रसित नौ से ज्यादा बच्चे उपचार के लिए आ चुके हैं। इनमें से एक बच्चे को तो गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया था। हालांकि, उपचार के बाद उसे घर भेज दिया गया। इसके अलावा एक निजी चिकित्सक के यहां पहुंचे खुशीपुरा क्षेत्र के एक बच्चे में खसरा मिला है। जबकि, मऊरानीपुर में चार दिन पहले एक बच्चे में संक्रमण पाया गया था। करीब 10 दिन पहले खसरा के दो बच्चे ओपीडी में उपचार के लिए आए थे। इसके बाद डब्ल्यूएचओ की टीम सक्रिय हो गई है। 9 और 16 माह में लगता है टीका खसरे का पहला टीका नौ माह और दूसरा 16 माह के बच्चे को लगता है। दोनों टीके लगने से बच्चे में खसरा से बचाव की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि खसरा मोरबिली वायरस से फैलता है, जो संपर्क में आने के साथ-साथ हवा के माध्यम से भी संक्रमित करता है। एक बार हवा में यह वायरस आने के बाद कई घंटों तक सक्रिय बना रहता है। इस वायरस के संपर्क में आने से संक्रमण तय होता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा हो जाता है। तीन-चार दिन तेज बुखार के बाद उभर आते हैं दाने मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. आराधना कनकने ने बताया कि खसरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को होता है। इसका संक्रमण तेजी से एक-दूसरे में फैलता है। उन्होंने बताया कि इसकी चपेट में आने पर तीन-चार दिन तक तेज बुखार आता है। खांसी-जुकाम के साथ आंखें लाल होने लगती हैं। तीन-चार दिन गुजरने के बाद कान के पीछे या आंख के पास दाने होते हैं, जो दो दिन के अंदर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसके बाद मुंह में भी छाले हो जाते हैं। समय से उपचार नहीं मिलने पर निमोनिया, दस्त होने के साथ-साथ दिमागी बुखार भी हो जाता है। उन्होंने बताया यदि समय से उपचार नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो जाता है। मध्य प्रदेश के जिलों से आ रहा संक्रमण डब्ल्यूएचओ की डॉ. जूही का दावा है कि जिले में अधिकांश बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के जिला टीकमगढ़, निवाड़ी व शिवपुरी में संक्रमित बच्चों के उपचार के लिए आने की वजह से यहां संक्रमण बढ़ा है। टीकाकरण होने की वजह से ही अभी तक अनहोनी नहीं हुई है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 08, 2025, 11:25 IST
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