Jammu Kashmir : तबादले पर रोक के नियम को कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कैट में दी चुनौती

तबादले पर रोक का विरोध कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया है। कश्मीरी पंडित कर्मियों ने प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत नौकरी पाने वालों के स्थानांतरण न करने के प्रावधान को चुनौती दी है। कैट की श्रीनगर पीठ तक मामला ले जाने का कदम जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस बयान के बाद लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि हड़ताली कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर एलजी सिन्हा ने कहा था, आरक्षित श्रेणी (डोगरा) के कर्मचारी जम्मू और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घर बैठे वेतन नहीं दिया जा सकता है। हर कर्मी अपने कैडर क्षेत्र में ही सेवाएं दे सकता है, जिसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। इस बयान की सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को व्यक्तिगत राय व्यक्त करते हुए कहा था, इंसान की जान से कीमती कुछ नहीं हो सकता। एक जान को भी खतरा है तो उसे बचाने के लिए एक दर्जन कार्यालय भी बंद करने से गुरेज नहीं होना चाहिए। आतंकियों की ओर से लक्षित हत्याएं किए जाने के बाद से कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू संभाग में स्थानांतरण की मांग को लेकर सात माह से प्रदर्शन कर रहे हैं। भूपिंदर भट्ट और योगेश पंडिता की ओर से दायर याचिका ट्रिब्यूनल में 30 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की उम्मीद है। कर्मचारियों ने जम्मू-कश्मीर कश्मीरी पंडित प्रवासी (विशेष अभियान) भर्ती नियम -2009 के उप नियम चार के चौथे नियम को चुनौती दी है, जिसमें प्रावधान है कि योजना के तहत नौकरी पाने वाले कर्मी अगर किसी कारण से दोबारा घाटी से पलायन करते हैं तो वे बिना किसी पूर्व सूचना के अपनी नौकरी खो देंगे और उनको बर्खास्त किया जा सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 28, 2022, 00:54 IST
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