Jammu Kashmir: क्या राजोरी में वर्ष 1990 के समय के हालात बनाने की रचि जा रही नापाक साजिश

एलओसी से सटे राजोरी जिले को सीमा पार बैठे आतंकियों के सरगना फिर से आतंकवाद के चरम वाले दौर में लौटाना चाहते हैं। वर्ष 1990 से 2005 तक के 15 साल राजोरी के लिए सबसे भयावह थे। इस दौरान दहशतगर्दों ने कई नरसंहार अंजाम दिए। ऐसे में राजोरी के ढांगरी में इसी तरह से अल्पसंख्यकों की सामूहिक हत्या से लोग खौफजदा हैं। बुद्धल के नंबल इलाके में 5 अक्तूबर 2005 को आतंकियों ने दो हिंदू परिवारों के 10 लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी थी। इससे पूर्व वर्ष 1997 में ऊंचाई वाले क्षेत्र में कालाकोट के ढोक में आतंकियों ने पांच हिंदुओं की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद जुलाई 2005 में सवाड़ी कोटरंका में एक हिंदू परिवार के छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा फ़रवरी 1999 में ढांगरी के साथ लगते बल जरालां इलाके में आई बरात पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करके सात लोगों को मौत के घाट उतारा था। वर्ष 1990 से 2005 के बीच राजोरी के कई इलाकों में बहु संख्यक समुदाय के कई लोगों को भी आतंकियों ने मौत के घाट उतारकर दहशत फैलाने का काम किया। थन्नामंडी निवासी सरपंच शफीक मीर जोकि वर्ष 1990 से 2010 के बीच पत्रकारिता से जुड़े रहे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 से पहले राजोेरी के हालात इतने खराब और संगीन थे कि हर रोज कहीं न कहीं किसी नागरिक की हत्या की खबर आती थी। मौके पर जाकर दिल दहल जाता था। उस समय आतंकवादी बड़ी बेरहमी से लोगों को मौत के घाट उतारा करते थे और कई कांड तो ऐसे भयानक रहे कि आतंकवादियों ने लोगों के सिर धड़ से अलग कर पेड़ पर टांग दिए। पुलिस के सेवानिवृत्त डीएसपी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्ष 1990 से 2005 के बीच जिस तरह की आतंकवादी वारदातें राजोरी में होती थीं, अब फिर से वैसे ही हालात बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यदि सुरक्षा बलों ने सही ढंग से मोर्चा नहीं संभाला और सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता नहीं दिखाई तो राजोरी के हालात बद से बदतर होते जाएंगे। वहीं भाजपा नेता और पूर्व एमएलसी विबोध गुप्ता ने कहा, वर्ष 1990 से 2005 के बीच में आतंकवाद के चरम के दौरान राजोरी में विलेज डिफेंस कमेटी के सदस्य भी हथियारों से लैस होते थे। वीडीसी सदस्य डटकर आतंकवादियों का मुकाबला करते थे और सुरक्षा बलों का पूरा साथ दिया गया। तब राजोरी से आतंकवाद खत्म करने में मदद मिली। यदि अब गांव के वीडीसी सदस्यों को बंदूकें देकर मजबूत नहीं किया गया तो राजोरी को वर्ष 1990 के दौर में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 04, 2023, 11:40 IST
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