Iran: ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य में जब्त किया मार्शल द्वीपसमूह के झंडे वाला तेल टैंकर, क्षेत्र में तनाव

ईरान ने शुक्रवार को होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजर रहे मार्शल द्वीपसमूह के झंडे वाले एक तेल टैंकर को जब्त कर लिया। ईरान ने इस जहाज को रोककर अपने क्षेत्रीय पानी की ओर मोड़ दिया। रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस मार्ग में कई महीनों बाद ऐसी पहली कार्रवाई हुई है। अमेरिका के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि, ईरान ने इस जहाज की जब्ती की तत्काल कोई पुष्टि नहीं की है। लेकिन यह घटना ऐसे समय हुई है, जब तेहरान लगातार चेतावनी दे रहा है कि जून में इस्राइल के साथ 12 दिन की जंग और अमेरिकी हमलों से उसके परमाणु ठिकानों पर हुए नुकसान का बदला लिया जा सकता है। ये भी पढ़ें:जी7 बैठक के दौरान गुटेरेस से मिले जयशंकर, वैश्विक हालात और भारत की भूमिका पर अहम चर्चा अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने खुफिया जानकारी से जुड़े मुद्दों पर नाम न छापने की शर्त पर बात की। उन्होंने कहा, यह जहाज 'तालारा' संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अजमान से सिंगापुर जा रहा था। तभी ईरानी बलों ने उसे रोक लिया। अमेरिकी नौसेना का एमक्यू-4सी ट्राइटन ड्रोन कई घंटों तक उस जगह के ऊपर घूमता रहा, जहां तालारा मौजूद था। इस ड्रोन की उड़ान से जुड़ी जानकारी की जांच एसोसिएटेड प्रेस ने की, जिसमें यह दिखाई दिया कि ड्रोन घटना को देख रहा था। निजी सुरक्षा कंपनी एम्ब्रे ने बताया कि तीन छोटी नावों ने तालारा के पास पहुंचकर उसे घेरा। ब्रिटेन की यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस इकाई ने भी इस घटना की पुष्टि की। उसका कहना है कि 'किसी राज्य की गतिविधि' के कारण तालारा को ईरानी जल क्षेत्र की ओर मुड़ना पड़ा। जहाज के ग्रीक मालिकों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। ये भी पढ़ें:अंतरिक्ष में फंसे चीन के एस्ट्रोनॉट्स धरती पर लौटेंगे, मिशन के दौरान यान में खराबी से अटकी थी वापसी अमेरिकी नौसेना पहले भी 2019 में कई टैंकरों पर हुए लिम्पेट माइन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहरा चुकी है। 2021 में एक इस्राइल से जुड़े तेल टैंकर पर ड्रोन हमले में चालक दल के दो यूरोपीय सदस्यों की मौत का आरोप भी ईरान पर लगा था। ये हमले तब शुरू हुए थे, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को एकतरफा तरीके से बाहर कर लिया था। आखिरी बड़ी जब्ती मई 2022 में हुई थी, जब ईरान ने दो ग्रीक टैंकरों को पकड़ा था और उन्हें उसी साल नवंबर तक रोके रखा। इन हमलों के बाद हालात और जटिल तब हो गए, जब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने गाजा में इस्राइल-हमास युद्ध के दौरान जहाजों पर हमले शुरू किए। इससे लाल सागर में अहम समुद्री मार्ग पर जहाजों की आवाजाही काफी प्रभावित हुई। ईरान और पश्चिम के बीच कई वर्षों से जारी तनाव और गाजा की स्थिति मिलकर जून में 12 दिन के बड़े संघर्ष में बदल गई थी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 14, 2025, 14:58 IST
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