Urdu Poetry: आज देखा उस को मैं ने वो किसी के साथ था
उस ने मन में ही कहा था मैं तुम्हारे साथ हूँ मैं ने फिर भी सुन लिया था मैं तुम्हारे साथ हूँ आज देखा उस को मैं ने वो किसी के साथ था कल जो मुझ से कह रहा था मैं तुम्हारे साथ हूँ मुश्किलें रस्ता बदल लेतीं ज़रा सी बात पर बस उसे ये बोलना था मैं तुम्हारे साथ हूँ ज़ख़्म तो भरने लगे थे जिस्म के सारे मगर दर्द मुझ से कह रहा था मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम ने बे-शक मुझ को दुनिया से छुपाया था मगर आइना तो जानता था मैं तुम्हारे साथ हूँ इक किनारे पर पड़ी थी लाश ला-वारिस कोई एक किनारे पर लिखा था मैं तुम्हारे साथ हूँ जागती आँखों से जिस ने मुझ को तन्हा कर दिया नींद में वो चीख़ता था मैं तुम्हारे साथ हूँ ~ इक़रा अम्बर हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 03, 2025, 20:28 IST
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